‘श्रीलंका को भारत के खिलाफ नहीं होंने देंगे इस्तेमाल’, फ्रांस में राष्ट्रपति विक्रमसिंघे का चीन पर बड़ा बयान: पढ़ें पूरी खबर…..

Spread the love

नई दिल्ली:  पहाड़ी खेती, समाचार (28, जून )राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है, कि श्रीलंका को भारत के खिलाफ किसी भी खतरे के लिए आधार के रूप में इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं देंगे। श्रीलंका के राष्ट्रपति का ये बयान उस वक्त आया है, जब कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है, कि चीन ने श्रीलंका से एक मिलिट्री बेस बनाने के लिए जमीन की मांग की है।

श्रीलंका के राष्ट्रपति का ये बयान काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि भारत की सुरक्षा के लिहाज से हिन्द महासागर से चीन को दूर रखना काफी जरूरी है और भारत की सुरक्षा के लिहाज से श्रीलंका का भारत के पक्ष में रहना उतना ही जरूरी है।

श्रीलंका के राष्ट्रपति ने क्या कहा?

श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कहा, कि द्वीप राष्ट्र “तटस्थ” रहेगा और चीन के साथ उसका कोई सैन्य समझौता नहीं होगा। ब्रिटेन और फ्रांस की आधिकारिक यात्रा पर गए विक्रमसिंघे ने सोमवार को फ्रांस के राज्य मीडिया के साथ एक साक्षात्कार के दौरान यह टिप्पणी की है।

फ्रांस24 के साथ एक इंटरव्यू में, विक्रमसिंघे ने कहा, कि “हम एक तटस्थ देश हैं, लेकिन हम इस तथ्य पर भी जोर देते हैं, कि हम श्रीलंका को भारत के खिलाफ किसी भी खतरे के लिए आधार के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दे सकते।” श्रीलंका में चीन की कथित सैन्य उपस्थिति के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए, राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने कहा, कि चीनी देश में लगभग 1500 वर्षों से हैं और अब तक कोई सैन्य अड्डा नहीं है।

विक्रमसिंघे ने इस बात पर जोर दिया, कि द्वीप राष्ट्र का चीन के साथ कोई सैन्य समझौता नहीं है और कहा, “कोई सैन्य समझौता नहीं होगा। मुझे नहीं लगता कि चीन इसमें शामिल होगा।” राष्ट्रपति ने कहा, कि श्रीलंका के दक्षिण में स्थिति हंबनटोटा बंदरगाह का चीनी सैनिक नहीं कर रहे हैं। आपको बता दें, कि हंबनटोटा बंदरगाह को चीन ने साल 2017 में कर्ज की अदला-बदली के तौर पर 99 सालों के लिए लीज पर ले लिया है।

श्रीलंका के राष्ट्रपति ने आश्वासन दिया, कि भले ही हंबनटोटा बंदरगाह चीन के व्यापारियों को दे दिया गया है, लेकिन इसकी सुरक्षा का नियंत्रण श्रीलंकाई सरकार के पास है। उन्होंने कहा, कि “दक्षिणी नौसेना कमान को हंबनटोटा में ट्रांसफर कर दिया जाएगा और हमने हंबनटोटा में आसपास के इलाकों में एक ब्रिगेड तैनात कर दी है।”

आपको बता दें, कि पिछले साल, श्रीलंका ने चीनी बैलिस्टिक मिसाइल और उपग्रह ट्रैकिंग जहाज युआन वांग 5 को हंबनटोटा बंदरगाह पर खड़ा होने की अनुमति दी थी, जिससे रणनीतिक हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती समुद्री उपस्थिति के बारे में भारत और अमेरिका में आशंका बढ़ गई थी। भारत ने इसके लिए श्रीलंका के सामने कड़ी आपत्ति जताई थी।

हिन्द महासागर में चीन की घुसने की कोशिश

नई दिल्ली में इस बात की आशंका थी, कि श्रीलंकाई बंदरगाह के रास्ते में जहाज के ट्रैकिंग सिस्टम भारतीय प्रतिष्ठानों पर जासूसी करने का प्रयास कर सकते हैं। भारत और श्रीलंका के बीच संबंधों में तब तनाव आ गया था जब कोलंबो ने 2014 में अपने एक बंदरगाह पर चीनी परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी को खड़ा करने की अनुमति दे दी थी।

आपको बता दें, कि 74 साल के रानिल विक्रमसिंघे को पिछले साल पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति चुना गया था, जो श्रीलंका के आर्थिक संकट के कारण देश छोड़कर भाग गए थे। श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है और इस दौरान भारत ने श्रीलंका को 4 अरब डॉलर का क्रेडिट लाइन दिया हुआ है। वहीं, श्रीलंका को आईएमएफ से लोन दिलवाने में भी भारत ने काफी अहम भूमिका निभाई है।

साभार: एजेंसियां, सोशल मीडिया नेटवर्क।

You may have missed