प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बदलाव के बाद किसानों पर क्या फर्क पड़ेगा?
किसानों के लिए संकट मोचक बताकर शुरु की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा फिर चर्चा में है। केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्यण लेते हुए इसके प्रारूप में बदलाव कर दिया है। जिसके बाद न सिर्फ फसल बीमा योजना स्वैच्छिक यानि किसान की इच्छा पर हो गई है, बल्कि केंद्र ने प्रीमियम अपनी तरफ दी जाने वाली सब्सिडी की भी लिमिट तय की है। इसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या किसान के हिस्से का प्रीमियम बढ़ जाएगा? या फिर राज्य इस योजना से खुद को अलग करना शुरु कर देंगे? 19 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली कैबिनेट बैठक में फसल बीमा में बदलाव किए गए। पहले जो किसान केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) के तहत लोन लेते थे उनसे बैंक में बिना बताए भी प्रीमियम काट लिया जाता था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इसके साथ ही पीएमएफबीवाई और आरडब्ल्यूबीसीआईएस के तहत केंद्रीय सब्सिडी को गैर सिंचित क्षेत्रों में 30 फीसदी और सिंचित क्षेत्रों में 25 फीसदी तक कर दिया है। इसके साथ नए फैसले के तहत 50 फीसदी सिंचित क्षेत्र सिंचित में ही गिना जाएगा। अंग्रेजी अख़बार द हिंदू की ख़बर के मुताबिक केद्र के अपनी प्रमुख फसल बीमा योजनाओं में अपना अंशदान काम कर दिया है। अब सिंचित क्षेत्र में केंद्रीय 50 फीसदी की अपनी हिस्सेदारी की जगह 25 फीसदी और असिचिंत क्षेत्रों में 30 फीसदी करेगा। नई योजना 2020 के खरीफ सीजन से लागू होगी।