भारी वर्षा से शिमला के अस्तित्व पर संकट के बादल, राजधानी में कई क्षेत्र भूस्खलन की जद में, शिमला पर बढ़ते भार को लेकर NGT ने उठाये थे प्रश्न ! पढ़ें पूरी खबर….

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शिमला: पहाड़ी खेती, समाचार (17, अगस्त)मानसून में भारी वृष्टि से राजधानी शिमला के अस्तित्व पर संकट गहरा गया है। रविवार से हो रही वर्षा से राजधानी में तीन स्थानों पर भारी भूस्खलन हुआ है। शहर की शान माने जाते देवदार के 500 से अधिक कई पेड़ धराशायी हो गए हैं। छह साल पहले राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने आदेश में शिमला पर बढ़ते भार को लेकर प्रश्न उठाए थे।

2017 में दिए आदेश में कहा था कि शिमला शहर पर क्षमता से ज्यादा भार है। भवन निर्माण व वाहनों पर नियंत्रण लगाने की जरूरत है। इसके बाद शहर की भार सहने की क्षमता तय करने के लिए कमेटी भी गठित की थी। लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हो पाया। इसका परिणाम यह है कि राजधानी के कई क्षेत्रों में भूस्खलन हुआ और कई क्षेत्र इसकी जद में हैं।

अंग्रेजों ने शिमला शहर 25 हजार लोगों के लिए बसाया था लेकिन अब यहां 35 हजार से ज्यादा भवन हैं , व सवा दो लाख से अधिक जनसंख्या है। पर्यटन सीजन में तो जनसंख्या और अधिक हो जाती है। वाहनों का भार भी हर बढ़ रहा है।

शिव बावड़ी मंदिर के मलबे से अब तक 13 शव बरामद राजधानी शिमला के समरहिल स्थित उच्च अध्ययन संस्थान (बालूगंज) के पास बादल फटने से आए मलबे से ध्वस्त एंदड़ी में शिवबाड़ी मंदिर से बुधवार को एक और शव बरामद हुआ। अब तक 13 लोगों के शव बरामद हो चुके हैं। अब भी मलबे में आठ लोगों के दबे होने की आशंका है। पुलिस के पास 21 लोगों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई गई है।

पुलिस ने लोगों से अपील की है कि हादसे में जिनके स्वजन लापता हैं, वे सूचना दें। लापता लोगों को ढूंढने के लिए सेना भी उतर गई है। वायुसेना के हेलीकाप्टर चिनूक से सेना का जेसीबी रोबोट को बुधवार को अंबाला से एयर लिफ्ट कर शिमला लाया गया।

तीन पीढ़ियां लील गया भूस्खलन

शिव मंदिर में एक परिवार की तीन पीढ़यां खत्म हो गई हैं।कारोबारी पवन शर्मा के परिवार के सात सदस्य इस घटना में मारे गए हैं l इसमें पवन शर्मा, उनका बेटा अमन शर्मा, बहू अर्चना, दो पोतियां शामिल हैं।  कृष्णानगर में दो शव बरामद शिमला के कृष्णानगर वार्ड में मंगलवार शाम स्लाटर हाउस के पास पहाड़ी खिसकने से पांच भवन गिरे थे। बुधवार को यहां से दो लोगों के शव निकाले जा चुके हैं।

मृतकों की पहचान नवीन भल्ला उर्फ सोनू निवासी पंजाब व राजू निवासी गोरखपुर उत्तर प्रदेश के रूप में हुई है। राजू की गर्दन ही मिली है। आशंका है कि स्लाटर हाउस में काम करने वाले कई मजदूर मलबे के नीचे दबे हो सकते हैं।

चार दिन में 67 की मौत

प्रदेश में भारी वर्षा, भूस्खलन व बाढ़ से चार दिन में 67 लोगों की मौत हो गई। रविवार को दो सोमवार को 52, मंगलवार को चार व बुधवार को नौ लोगों की जान गई। सबसे ज्यादा मौतें शिमला, मंडी व सोलन जिलों में हुई हैं। प्रदेश में मानसून आने के बाद अब तक 7482.82 करोड़ रुपये के नुकसान का आंकलन किया जा चुका है। प्रदेश में कई स्थानों पर भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है। नालागढ़ के भासनी में आठ गांवों के 92 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है। उधर नयनादेवी के बडारन गांव के साथ पहाड़ी में दरारें आने पर लोगों ने घर खाली कर दिए हैं।

कांगड़ा में बाढ़ में फंसे 1731 लोग बचाए गए

कांगड़ा जिले में पौंग बांध से पानी छोड़ने के कारण इंदौरा और फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं।यहां से 1731 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। मंगलवार दोपहर से जारी रेस्क्यू अभियान में सेना, एयरफोर्स, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवानों ने जान की बाजी लगाकर बड़ी संख्या में लोगों को बचाया है। हेलीकाप्टर की मदद से 739, बोट से 780 और अन्य माध्यमों से 212 लोग सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाए गए हैं। लोगों को एयरलिफ्ट करने के लिए वायुसेना के दो एमआइ 17 हेलीकाप्टर तैनात किए हैं।

जयराम कर रहे राजनीति, हमारी प्राथमिकता लोगों को बचाना है – सुक्खू मुख्यमंत्री

सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि प्रदेश में भारी वर्षा से तबाही हुई है। लोगों को सुरक्षित करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर द्वारा विशेष सत्र बुलाने की मांग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सत्र बुलाने का उचित समय नहीं है। अभी राजनीति करने का समय नहीं है। प्रभावित लोग सरकार से सहायता की आस लगाए हैं। इस तरह की परिस्थितियों में विधानसभा का सत्र बुलाना उचित नहीं रहेगा।

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