भारत का पहला कीटनाशक रोधी बॉडीसूट तैयार, किसानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम, पढ़ें पूरी खबर….
“किसान कवच सिर्फ एक उत्पाद नहीं है, बल्कि हमारे किसानों के स्वास्थ्य की रक्षा करने का उनसे एक वादा है, क्योंकि वे देश के लिए अन्न उत्पादन में लगे हुए हैं.” -केंद्रीय मंत्री डा. जितेन्द्र सिंह
नई दिल्ली: पहाड़ी खेती, समाचार ( 21, दिसम्बर )केंद्रीय मंत्री डा. जितेंद्र सिंह ने भारत के पहले कीटनाशक रोधी बॉडीसूट किसान कवच का अनावरण किया, जिसे किसानों को कीटनाशकों के हानिकारक प्रभावों से बचाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह अभूतपूर्व नवाचार किसानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से कृषि समुदाय को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस कार्यक्रम में किसानों की सुरक्षा के महत्व पर जोर देते हुए किसानों को किसान कवच सूट की पहली खेप का वितरण भी किया गया।
हरियाणा में पानीपत के किसान प्रीतम सिंह ने भी कई अन्य लोगों की तरह, कीटनाशकों के हानिकारक प्रभावों के बारे में चिंता जताई थी। यद्यपि कीटनाशक फसलों को कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन वे उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जोखिम भी पैदा करते हैं जो उनका छिड़काव तथा रखरखाव करते हैं। इन खतरों से चिंतित, प्रीतम समाधान के लिए कीटनाशक कंपनियों के पास पहुंचे। उनकी चिंताओं का समाधान किसानों की सुरक्षा के लिए डिजाइन किया गया एक सुरक्षात्मक सूट, किसान कवच के लॉन्च के साथ किया गया। अब प्रीतम और अन्य लोग किसान कवच से पूरे आत्मविश्वास के साथ कीटनाशकों का उपयोग कर सकते हैं।
किसानों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए नवाचार का उपयोग करना
किसान कवच एक अभिनव समाधान है जिसे किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा चिंता का समाधान करने के लिए डिजाइन किया गया है। सेपियो हेल्थ प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से, बैंगलोर में BRIC-inStem द्वारा विकसित किया गया यह बॉडीसूट कीटनाशक-प्रेरित विषाक्तता के खिलाफ आवश्यक सुरक्षा प्रदान करता है। किसान कवच सुरक्षा कवच में एक फुल-बॉडी सूट, मास्क, हेडशील्ड और दस्ताने शामिल हैं, जो व्यापक सुरक्षा प्रदान करते हैं।
किसान कवच का मूल्य 4 हजार रुपए है और यह सूट धोने योग्य, पुन: प्रयोज्य है और 150 बार धोने के बाद दो साल तक चल सकता है। इस सूट में उन्नत फैब्रिक तकनीक है जो संपर्क में आने पर हानिकारक कीटनाशकों को निष्क्रिय कर देती है, जिससे किसानों के लिए अधिकतम सुरक्षा सुनिश्चित होती है। इसका कपड़ा एक ऐसी प्रक्रिया के माध्यम से काम करता है जहां एक न्यूक्लियोफाइल कपास के रेशों से सहसंयोजक रूप से जुड़ा होता है, जिससे यह न्यूक्लियोफिलिक-मध्यस्थ हाइड्रोलिसिस के माध्यम से कीटनाशकों को बेअसर करने की अनुमति देता है। नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में विस्तार से बताई गई यह अभूतपूर्व तकनीक किसान कवच को किसानों की सुरक्षा में बदलावकारी बनाती है। सरकार का लक्ष्य समय के साथ लागत को कम करना है ताकि इसे व्यापक पैमाने पर अधिक सुलभ बनाया जा सके।
कीटनाशकों की आवश्यकता
लगातार कम हो रही कृषि योग्य भूमि, कम उत्पादकता और घटते कृषि कार्यबल के साथ बढ़ती खाद्य मांगों को पूरा करने के लिए कृषि उत्पादन में वृद्धि जरूरी है। कीट और अन्य रोगजनक प्रमुख फसलों में 15-25 प्रतिशत हानि का कारण बनते हैं। इसलिए, इन चुनौतियों से निपटने के लिए कीटनाशक आवश्यक हैं।
कीटनाशकों के प्रतिकूल प्रभाव
अनुचित तरीके से उपयोग किए जाने पर, कीटनाशक पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए गंभीर जोखिम पैदा करते हैं। छिड़काव के दौरान, विशेषकर कीटनाशकों को मिलाते समय, जोखिम का खतरा अधिक होता है, क्योंकि कीटनाशक त्वचा, आंखों, मुंह या फेफड़ों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। त्वचा का संपर्क विशेष रूप से खतरनाक है, क्योंकि शरीर के कुछ अंग कीटनाशकों को तेजी से अवशोषित करते हैं, जिससे सुरक्षात्मक प्रक्रिया आवश्यक हो जाती है। कीटनाशकों के दुरुपयोग, अधिक उपयोग और उचित सुरक्षा उपायों की कमी के कारण 2015 और 2018 के बीच, 442 मौतें हुईं।
कीटनाशकों का उपयोग कम करना: प्रमुख सरकारी रणनीतियां
कीटनाशकों से संबंधित जोखिमों की गंभीरता 1958 में स्पष्ट हो गई, जब केरल में बड़े पैमाने पर मिथाइल पैराथियान विषाक्तता के कारण कीटनाशक अधिनियम, 1968 और कीटनाशक नियम, 1971 को लागू किया गया। इन कानूनों का उद्देश्य मानव और पशु स्वास्थ्य की रक्षा के लिए कीटनाशकों का उपयोग आयात, निर्माण और बिक्री उपयोग को विनियमित करना था। मुख्य प्रावधानों में अनिवार्य उत्पाद पंजीकरण, विनिर्माण और बिक्री के लिए लाइसेंस और तकनीकी मार्गदर्शन के लिए केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड (सीआईबी) का निर्माण शामिल है। सरकार को हानिकारक कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाने और उल्लंघन के लिए जुर्माना लगाने का भी अधिकार दिया गया।
अच्छी कृषि पद्धतियां (जीएपी): अच्छी कृषि पद्धतियाँ (जीएपी) खेती के पर्यावरणीय, आर्थिक और सामाजिक पहलुओं में स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करती हैं, जिससे सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण कृषि उत्पाद सुनिश्चित होते हैं। जीएपी में चार प्रमुख स्तंभ शामिल हैं: आर्थिक व्यवहार्यता, पर्यावरणीय स्थिरता, सामाजिक स्वीकार्यता, और खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता।
जीएपी के उद्देश्य:
- खाद्य सुरक्षा और उत्पाद की गुणवत्ता सुनिश्चित करें।
- आपूर्ति श्रृंखला प्रक्रिया में सुधार कर नए बाज़ार अवसरों का लाभ उठाएं।
- प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग बढ़ाएं, श्रमिकों के स्वास्थ्य में सुधार करें और बेहतर कामकाजी स्थितियां बनाएं, जिससे विकासशील देशों में किसानों और निर्यातकों को लाभ हो।
जैव-कीटनाशकों के उपयोग को बढ़ावा देना
कीटनाशकों के उपयोग को प्रभावी ढंग से कम करने के लिए, न केवल कानूनों को मजबूत करना आवश्यक है, बल्कि टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना भी आवश्यक है। सरकार रसायन-मुक्त खेती के महत्व को मान्यता देती है और उसने जैव कीटनाशकों तथा जैविक खेती के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए कई पहल शुरू की हैं।
जैव कीटनाशकों का प्रचार:
- केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति (सीआईबी एंड आरसी) ने जैव कीटनाशकों के पंजीकरण के लिए दिशानिर्देशों को सरल बना दिया है, जिससे रासायनिक कीटनाशकों की तुलना में यह आसान हो गया है।
- कीटनाशक अधिनियम, 1968 के तहत अनंतिम पंजीकरण रासायनिक कीटनाशकों के विपरीत, जैव कीटनाशकों के व्यावसायीकरण की अनुमति देता है।
जैव कीटनाशकों के प्रकार:
- बैसिलस थुरिंगिएन्सिस, ट्राइकोडर्मा, स्यूडोमोनास, मेटारिज़ियम, ब्यूवेरिया और अन्य जैसे जैव कीटनाशक टिकाऊ फसल सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- भारत में, लगभग 20 सूक्ष्मजीव जैव कीटनाशकों के रूप में पंजीकृत हैं, जिन्हें कवक, बैक्टीरिया और वायरस में वर्गीकृत किया गया है।
एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम):
आईपीएम एक पारिस्थितिक दृष्टिकोण है जिसका उद्देश्य निवारक उपायों, सांस्कृतिक पद्धतियों, यांत्रिक नियंत्रण और जैविक नियंत्रण जैसे स्थायी तरीकों का उपयोग करके कीटों की आबादी को नियंत्रित करना है। जैव-कीटनाशकों और नीम फॉर्मूलेशन जैसे पौधों से उत्पन्न कीटनाशकों के उपयोग पर जोर दिया जाता है।
सरकार कीटनाशकों के उपयोग को कम करने, जैविक खेती को बढ़ावा देने और भारत में कृषि पद्धतियों की स्थिरता को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, रासायनिक कीटनाशकों की खपत में भी कमी आई है, जिससे अधिक टिकाऊ कृषि पद्धतियों की ओर बदलाव में मदद मिली है।
निष्कर्ष
किसान कवच की शुरुआत किसानों को कीटनाशकों के हानिकारक प्रभावों से बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है। उन्नत फैब्रिक तकनीकयुक्त यह अभिनव सूट किसानों की सुरक्षा बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस पहल के साथ-साथ, सरकार जैव कीटनाशकों को अपनाने को बढ़ावा देते हुए रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग को कम करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है। ये प्रयास किसानों और पर्यावरण दोनों के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करते हुए एक सुरक्षित और अधिक टिकाऊ कृषि भविष्य बनाने की भारत की प्रतिबद्धता के अनुरूप हैं।