भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान शिमला द्वारा तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम (वर्चुअल) का आयोजन….

शिमलाः (पहाड़ी खेती, समाचार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग नई दिल्ली द्वारा वित्त पोषित परियोजना के तहत तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम कोविड-19 के चलते वर्चुअल कार्यक्रम का आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान क्षेत्रीय केंद्र अमृतारा कॉटेज शिमला , के वैज्ञानिक तथा इस परियोजना के अन्वेषक डॉक्टर संतोष वाटपाड़े राष्ट्रीय पादप आनुवंशिकी संसाधन ब्यूरो क्षेत्रीय केंद्र शिमला के सहयोग से किया गया ।
प्रशिक्षण के पहले दिन उद्घाटन सत्र का प्रारंभ इस केंद्र के अध्यक्ष डॉ कलोल कुमार प्रामाणिक के स्वागत भाषण के साथ हुआ । उन्होंने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के मुख्य अतिथि तथा किसानों का अभिनंदन व आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस प्रशिक्षण शिविर से किसानों को लाभ उठाने के लिए अनुरोध किया । डॉक्टर संतोष वाटपाड़े वैज्ञानिक एवं परियोजना अन्वेषक ने इस प्रशिक्षण शिविर के बारे में जानकारी प्रदान की।

मुख्य अतिथि डॉ विजय सिंह ठाकुर पूर्व कुलपति डॉ यशवंत सिंह परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी सोलन द्वारा बागवानी में आधुनिक प्रयोगो और संभावनाओं के बारे में प्रशिक्षण से ऑनलाइन जुड़े किसानों तथा बागवानों को अवगत कराया।
उद्घाटन सत्र का धन्यवाद प्रस्ताव इस केंद्र के डॉ. अरूण कुमार शुक्ला, प्रधान वैज्ञानिक द्वारा प्रस्तुत किया गया।
प्रशिक्षण के तकनीकी सत्र-1की शुरुआत करते हुए डॉक्टर नवीन सी. शर्मा प्रोफेसर फल विज्ञान डॉ यशवंत सिंह परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी सोलन द्वारा सेब में ग्राफ्टिंग और वाइनिंग की विभिन्न तकनीकों की जानकारी किसानों तथा बागवानों को दी।
डॉक्टर हरेंद्र राज गौतम प्रोफेसर और अध्यक्ष डॉ यशवंत सिंह परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी सोलन द्वारा मृदा जनित रोग प्रबंधन के लिए मृदा सौरिकरण एवं अन्य विधियों के उपयोगों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी किसानों को उपलब्ध करवाई ।
डॉ. हिमांशु शर्मा जिला कार्य प्रबंधक बेसिक्स प्राइवेट लिमिटेड मंडी द्वारा जैविक खेती का महत्व और पंजीकरण की प्रक्रिया के बारे में किसान बागवान भाइयों को अवगत करवाया गया । इस केंद्र के वैज्ञानिक डॉक्टर संतोष वाटपाड़े द्वारा वायरस मुक्त मदर पौधों की पहचान के बारे में किसानों को महत्वपूर्ण जानकारियों से अवगत करवाया ।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान किसानों तथा बागवानों ने अपनी समस्याएं बताई तथा प्रश्न भी पूछे। किसानों की समस्याओं के निदान के तरीके तथा प्रश्नों के उत्तर वैज्ञानिकों ने प्रशिक्षण के दौरान बताएं ।प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रथम दिन लगभग 60 किसान ऑनलाइन जुड़े तकनीकी सत्र 1 के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले डॉक्टर नरेंद्र नेगी वैज्ञानिक राष्ट्रीय पादप अनुवांशिकी संसाधन ब्यूरो क्षेत्रीय केंद्र फागली के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ तकनीकी सत्र की समाप्ति हुई।
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