UN में रूस पर भारत के स्टैंड को फ्रांस का मिला समर्थन, कहा- दुनिया में मायने रखती है भारत की आवाज…..

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नई दिल्ली : पहाड़ी खेती, समाचार ( 04, मार्च ) संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) में यूक्रेन  पर रूस  के हमले के निंदा प्रस्‍ताव पर एक बार फिर भारत ने दूरी बनाई तो दुनिया के कई बड़े देशों की भौहें चढ़ गईं।

UNSC के बाद UNGA में भारत की ओर से उठाए गए कदम को अब फ्रांस का साथ मिल गया है। भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनिन ने कहा कि किसी को यह नहीं कहना चाहिए कि भारत को क्या करना चाहिए। जैसे-जैसे संकट गहराता जा रहा है, भारत से समर्थन का स्वागत किया जाएगा क्योंकि भारत की आवाज दुनिया के लिए मायने रखती है।

इमैनुएल लेनिन ने कहा, भारत अंतरराष्ट्रीय मंच पर बड़ी जिम्मेदारी चाहता है। हमारा देश भारत को यूएनएससी में स्थायी सीट मिलने का प्रबल समर्थक है। भारत की आवाज़ दुनिया में सुनी जाती है। हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर भरोसा करते हैं। भारत ने क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर बयान दिए हैं जिनका हम स्वागत करते हैं। लेनिन ने कहा, हम यूक्रेन की हर तरीके से मदद कर रहे हैं। यूरोप के सभी देशों ने यूक्रेन को मानवीय सहायता के अलावा उपकरण और हथियार भेजने का फैसला किया है। हथियारों के साथ ही हम यूक्रेन को राजनीतिक समर्थन भी दे रहे हैं। रिकॉर्ड समय में हमने रूस के बैंकिंग संस्थानों पर अभूतपूर्व प्रतिबंध लगाए हैं।

UNSC के बाद UNGA में भी भारत ने अनुपस्थित रहकर प्रस्ताव से खुद को अलग रखा। रूस के पक्ष में खुद रूस के अलावा बेलारूस, सीरिया, उत्तर कोरिया (डीपीआरके), इरिट्रिया ने मतदान किया। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भी रूस के खिलाफ प्रस्ताव से दूरी बनाई थी। भारत ने न तो इसके पक्ष में वोट किया न ही इसका विरोध किया था। उस समय भारत के स्थाई प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने सुरक्षा परिषद में कहा था कि यूक्रेन के हालिया घटनाक्रम से भारत बेहद परेशान है। भारत चाहता है कि हिंसा को जल्द से जल्द समाप्त किया जाए।

महासभा में 193 देशों ने लिया भाग

बता दें कि 193 सदस्यीय महासभा ने यूक्रेन की संप्रभुता, स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि करने के लिए मतदान किया और यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता की कड़े शब्दों में निंदा की।

प्रस्ताव के महासभा में पारित होने के लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है। प्रस्ताव में परमाणु बलों को मुस्तैद करने के रूस की ओर से लिए गए युद्ध के फैसले की भी निंदा की गई। संयुक्त राष्ट्र महासभा में बेलारूस की भागीदारी की भी निंदा की गई। प्रस्ताव में राजनीतिक वार्ता, मध्यस्थता और अन्य शांतिपूर्ण तरीकों से रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष के तत्काल शांतिपूर्ण समाधान का आग्रह किया गया है।

साभार: TV 9 भारतवर्ष, सोशल मीडिया नेटवर्क।

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