हिमाचल हाईकोर्ट: सीबीआई को छात्रवृत्ति घोटाले में जांच प्रक्रिया में तेजी लाने के आदेश…

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शिमला : पहाड़ी खेती, समाचार ( 21, अप्रैल ) हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआई को जांच प्रक्रिया में तेजी लाने और जल्द आरोप पत्र दाखिल करने का आदेश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश श्याम लाल की ओर से दायर याचिका पर पारित किए हैं।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि शक्ति भूषण राज्य परियोजना अधिकारी (एसपीएम एनआईयू शिमला) को राज्य सरकार की ओर से अनुसूचित जाति अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए केंद्रीय प्रायोजित मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में छात्रवृत्ति के दुरुपयोग के मामले की जांच के लिए नियुक्त किया था। उन्होंने जांच कर वर्ष 2018 में सचिव शिक्षा के निर्देश पर प्राथमिकी दर्ज कराई थी। याचिकाकर्ता ने आगे आरोप लगाया है कि जांच रिपोर्ट से पता चला है कि छात्रवृत्ति की बड़ी राशि का दुरुपयोग किया गया था। राज्य के शैक्षणिक संस्थानों के अलावा, भारत के कई शैक्षणिक संस्थान भी इस घोटाले में शामिल थे। नतीजतन, जांच के लिए मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था।

याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार को सभी मामलों और दोषी संस्थानों की पूरी जांच सीबीआई को सौंपने का निर्देश देने की प्रार्थना की है। याचिकाकर्ता ने आगे सीबीआई को शक्ति भूषण द्वारा नामित सभी संस्थानों की जांच करने और उसके बाद बिना किसी अपवाद के सूची में नामित सभी गलत संस्थानों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करके इस तरह की जांच को निष्कर्ष पर लाने का निर्देश देने की प्रार्थना की है। पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआई के अधिवक्ता द्वारा यह जानकारी दी गई थी कि 266 निजी संस्थानों में से 28 कथित छात्रवृत्ति घोटाले में शामिल थे। उनमें से 11 की जांच पहले ही पूरी हो चुकी है और चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है और 17 संस्थानों के खिलाफ जांच अभी भी जारी है। उपरोक्त जानकारी के बाद हाईकोर्ट ने खेद जताया था कि छह महीने बीत जाने के बाद भी इस मामले में एक भी आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया है।

सीबीआई के अधिवक्ता ने कोर्ट में दाखिल की नई स्टेटस रिपोर्ट
सीबीआई के अधिवक्ता ने कोर्ट में नई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है। जिसमें कहा गया है कि सात आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और 18 अप्रैल, 2022 को दो आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए गए हैं। जिसमें दो शैक्षणिक संस्थान, एपेक्स ग्रुप ऑफ प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट इंद्री जिला करनाल और हिमालयन ग्रुप ऑफ प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट कालाअंब, जिला सिरमौर शामिल हैं। उक्त संस्थाओं के मालिकों, कर्मचारियों एवं उच्च शिक्षा निदेशालय शिमला के अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विभिन्न धाराओं में अपराध करने के आरोप में कार्रवाई अमल में लाई गई है। जबकि हिमाचल प्रदेश बैंक अधिकारियों की भूमिका का पता लगाने के लिए जांच का दायरा खुला है। मामले पर आगामी सुनवाई 30 मई को होगी।

साभार: अमर उजाला सोशल मीडिया नेटवर्क।

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