स्ट्रॉबेरी मून और थंडर मून के बाद दिखेगा फुल स्टर्जन मून, 11 अगस्त को दिखेगा इस साल का आखिरी सुपरमून…..

नई दिल्ली : पहाड़ी खेती, समाचार( 11, अगस्त )सुपरमून को पहले जून में और फिर जुलाई में देखने के बाद अंतरिक्ष में दिलचस्पी रखने वालों के लिए एक और सुपरमून आने वाला है। इस साल का आखिरी सुपरमून 11 अगस्त को दिखाई देगा।
भारत में भी पूर्णिमा के दिन देखा जा सकता है, लेकिन यहां शुक्रवार यानी 12 अगस्त को यह सुपरमून दिखाई देगा। जैसे पिछले दो सुपरमून का नाम स्ट्रॉबेरी मून और थंडर मून रखा गया था, वैसे ही इस बार भी हम ‘फुल स्टर्जन मून’ देखेंगे। नासा (NASA) के अनुसार, स्टर्जन शब्द अमेरिकी जनजाति एल्गोंक्विन से लिया गया है। यह जनजाति हर साल इस मौसम में स्टर्जन मछली पकड़ती है, जिसके कारण इस पूर्णिमा को स्टर्जन मून कहा जाता है।
सुपरमून तीन दिनों तक देगा दिखाई
नासा के अनुसार सुपरमून को वह स्थिति कहा जाता है जब चंद्रमा की कक्षा पृथ्वी के सबसे करीब होती है उसी समय चंद्रमा पूर्ण होता है। एक सुपरमून एक औसत रात की तुलना में 14 से 30 प्रतिशत अधिक चमकीला दिखाई दे सकता है।यह सुपरमून बुधवार से शुक्रवार तक तीन दिनों तक दिखाई दे सकता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस दिन चंद्रमा पृथ्वी की कक्षा में अपने निकटतम बिंदु पेरिगी पर पहुंचेगा। इस वजह से यह सामान्य पूर्णिमा के मुकाबले सामान्य से थोड़ा बड़ा दिखाई देगा। इस दौरान पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी करीब 26 हजार किलोमीटर कम हो जाएगी।
हालांकि, स्टर्जन मून के कारण आकाश में दिखाई देने वाली अन्य खगोलीय घटनाएं प्रभावित होंगी। पर्सिड्स उल्का बौछार भी उसी समय होनी है। इसे साल की बेहतरीन उल्का बौछारों में से एक माना जाता है, लेकिन नासा का कहना है कि सुपरमून की वजह से इसका मजा कम हो जाएगा।
चंद्रमा की रोशनी में उल्का क्यों हो जाएगी गायब
आमतौर पर पर्सिड उल्का बौछार के दौरान प्रति घंटे 50 से 100 उल्काएं देखी जा सकती हैं, लेकिन इस बार प्रति घंटे 10 से 20 उल्का बौछारें ही दिखाई देंगी। बाकी की बारिश चंद्रमा की रोशनी में लगभग गायब हो जाएगी। ये उल्का वर्षा आखिरी बार साल 1992 में देखी गई थी। इस बार यह 13 अगस्त को अपने चरम पर होगी, लेकिन फिर सुपरमून की रोशनी इन्हें आसमान में चमका देगी।
साभार: एजेंसियां,oneindia.com, gizbot.com, सोशल मीडिया नेटवर्क।

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