“एम्स” नई दिल्ली के वीडियो-परामर्श कार्यक्रम ‘ई-आईसीयू’ ने प‍कड़ी रफ्तार ….

AIIMS Delhi
Spread the love

एम्स नई दिल्ली के वीडियो-परामर्श कार्यक्रम ‘ई-आईसीयू’ ने अब तक 11 राज्यों में 43 बड़े अस्पतालों को किया कवर

शिमलाः ( पहाड़ी खेती, समाचार )

कोविड-19 से होने वाली मौतों में यथासंभव कमी सुनिश्चित करने हेतु भारत सरकार द्वारा किए जा रहे अथक प्रयासों को और मजबूती प्रदान करने के लिए एम्‍स नई दिल्ली ने देश भर के आईसीयू डॉक्टरों के साथ एक वीडियो-परामर्श कार्यक्रम ‘ई-आईसीयू’ 8 जुलाई, 2020 को शुरू किया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य उन डॉक्टरों के बीच मरीजों के समुचित उपचार से संबंधित चर्चाएं सुनिश्चित करना है जो देश भर के अस्पतालों और कोविड केंद्रों में कोविड-19 रोगियों के इलाज में सबसे आगे हैं।

कोविड-19 रोगियों का उपचार करने वाले डॉक्‍टरों के साथ-साथ आईसीयू में कार्यरत डॉक्‍टर भी इस वीडियो प्लेटफॉर्म पर एम्स, नई दिल्ली के अन्य चिकित्सकों और विशेषज्ञों से प्रश्‍न पूछ सकते हैं, अपने-अपने अनुभवों को प्रस्तुत कर सकते हैं और उनके साथ अपनी जानकारियों को साझा कर सकते हैं।

इन चर्चाओं का मुख्‍य उद्देश्य साझा किए गए अनुभवों से सीखी गई जानकारियों की मदद से और आइसोलेशन बेड, ऑक्सीजन की सुविधा वाले बेड एवं आईसीयू बेड सहित 1000 बिस्तरों वाले अस्पतालों के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं या तौर-तरीकों को मजबूत करके कोविड-19 से होने वाली मौतों को न्‍यूनतम स्‍तर पर लाना है। अब तक चार सत्र आयोजित किए गए हैं और इस दौरान 43 संस्थानों {मुंबई (10), गोवा (3), दिल्ली (3), गुजरात (3), तेलंगाना (2), असम (5), कर्नाटक (1), बिहार (1), आंध्र प्रदेश (1), केरल (1), तमिलनाडु (13)} को कवर किया गया है।

वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित किए गए इन सत्रों में से प्रत्येक सत्र 1.5 से 2 घंटे तक जारी रहा। इन चर्चाओं में कोविड-19 रोगियों के समुचित उपचार से संबंधित समस्‍त मुद्दों को कवर किया गया है। जिन कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर विशेष जोर दिया गया है, उनमें रेमेडेसिविर, स्वास्थ्य लाभकारी प्लाज्मा और टोसीलिजुमाब जैसी ‘अनुसंधानात्मक थेरपीज’ का तर्कसंगत उपयोग करने की आवश्यकता भी शामिल है। उपचार करने वाली टीमों ने वर्तमान संकेतों के साथ-साथ इनके अंधाधुंध उपयोग के कारण संभावित नुकसान और सामाजिक-मीडिया दबाव आधारित नुस्खे को सीमित करने की आवश्यकता पर भी विचार-विमर्श किया है।

बढ़ी हुई बीमारी के लिए प्रोनिंग, उच्च प्रवाह ऑक्सीजन, नॉन-इन्वैसिव वेंटिलेशन और वेंटिलेटर सेटिंग्स का उपयोग करना भी आम चर्चा का विषय रहा है। साझा तौर पर सीखने के दौरान कोविड-19 के निदान में विभिन्न परीक्षण (टेस्टिंग) रणनीतियों की भूमिका पर भी काफी चर्चाएं हुई हैं।

टेस्टिंग बार-बार करने की आवश्यकता, मरीज को भर्ती एवं डिस्चार्ज करने के मानदंड, डिस्चार्ज करने के बाद उभरने वाले रोग लक्षणों के समुचित प्रबंधन और काम पर वापस लौटने जैसे मुद्दों का निपटारा कर दिया गया है।

कुछ अन्य आम चिंताओं में मरीजों के साथ संचार या बातचीत करने के तरीके, स्वास्थ्य कर्मियों की स्क्रीनिंग, मधुमेह की नई उभरती समस्‍या से निपटना, स्ट्रोक, दस्त और मायोकार्डियल रोधगलन जैसी असामान्य परिस्थितियां शामिल हैं। एम्स, नई दिल्ली की टीम प्रत्येक वीडियो-परामर्श के दौरान एक समूह से दूसरे समूह को मिल रही नई जानकारियों के लिए एक सेतु के रूप में कार्य करने में सक्षम थी। इसके अलावा, इस टीम ने अपने स्वयं के अनुभव के आधार पर आवश्‍यक सलाह दी और विभिन्‍न विषयों या क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने व्यापक ज्ञानपरक समीक्षा की।  

आने वाले हफ्तों में वीडियो परामर्श कार्यक्रम ‘ई-आईसीयू’ देश भर में फैले छोटे स्वास्थ्य केंद्रों (यानी जहां 500 या उससे अधिक बेड हैं) के आईसीयू डॉक्टरों को कवर करेगा। 

साभार: पी. आई. बी., भारत सरकार, सन्दर्भ सूूत्र: विकिपीडिया

You may have missed