सावधान! तीन घंटे से ज्यादा स्मार्टफोन चलाने से हो सकती हैं ये गंभीर बीमारियां, शोध में हुआ चौंकाने वाला खुलासा….

अगर आप स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो सावधान हो जाएं। क्यों कि स्मार्टफोने के तीन घंटे से ज्यादा इस्तेमाल करने से आपको कई तरह की बीमारियां होना का खतरा हो सकता है
शिमला: पहाड़ी खेती, समाचार (15, अप्रैल )अगर आप स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो सावधान हो जाएं।क्यों कि स्मार्टफोने के तीन घंटे से ज्यादा इस्तेमाल करने से आपको कई तरह की बीमारियां होना का खतरा हो सकता है।
ये बात ब्राजील में हुए एक शोध में कही गई है। वैसे भी स्मार्टफोन या कंप्यूटर का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल कभी भी सही नहीं माना गया है। यही नहीं एक सीमा से अधिक स्क्रीन का इस्तेमाल किसी भी उम्र के लोगों के लिए खतरे से खाली नहीं है।
आप को बताते चलें कि कोरोना महामारी के बाद डिजिटल तकनीकी में बड़े पैमाने पर बदलाव आया है और हम सब अपने स्मार्टफोन, कंप्यूटर या अन्य उपकरणों पर ज्यादा निर्भर हुए हैं। स्कूल हो या दफ्तर का काम ज्यादातर स्मार्ट उपकरणों के उपयोग के आसपास ही केंद्रित रहे हैं। जिसका बुरा असर हम सबके सामने है।
ब्राजील में हुए शोध में बताया गया है कि जरूरत से ज्यादा स्मार्टफोन का इस्तेमाल हमें कई बीमारियों का शिकार बना सकता है। स्क्रीन के संपर्क में रहने से हम खराब पॉस्चर में बैठते हैं, जिस वजह से पीठ में तेज दर्द की समस्या समेत और भी कई स्वास्थ्य समस्याएं होने की खतरा बढ़ गया है।
खतरनाक है 3 घंटे से ज्यादा स्मार्टफोन का इस्तेमाल
ब्राजील में हुए एक शोध में शामिल शोधकर्ताओं के एक समूह ने पाया कि जो लोग तीन घंटे से ज्यादा स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते थे उन्हें रीढ़ की हड्डी में परेशानी का सामना करना पड़ा। जिसमें पेट के बल बैठना या लेटना और हर दिन तीन घंटे से अधिक समय तक स्क्रीन का उपयोग करना शामिल है। साइंटिफिक जर्नल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक दिन में 3 घंटे से ज्यादा स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने से टीनएजर्स को पीठ दर्द या खराब पॉस्चर की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
थेरैसिक स्पाइन पेन पर केंद्रित है ये शोध
बता दें कि ये शोध थेरैसिक स्पाइन पेन पर कंद्रित था।थोरैसिक रीढ़ छाती के पीछे स्थित होती है जो कि कंधे के ब्लेड के बीच और गर्दन के नीचे से कमर तक फैली होई है। इस शोध में हाई स्कूल के पहले और दूसरे वर्ष के 14 से 18 साल के छात्र-छात्राओं को शामिल किया गया। इसमें 1628 छात्रों ने हिस्सा लिया। शोध में पता चला है कि थोरैसिक स्पाइन पेन से लड़कों के मुकाबले लड़कियां ज्यादा प्रभावित हुई।
अध्ययन कहता है, थोरैसिक स्पाइन पेन (TSP) का प्रसार दुनिया भर की सामान्य आबादी में आयु वर्ग के अनुसार भिन्न होता है, वयस्कों के लिए प्रसार दर 15 फीसदी से 35 फीसदी तक और बच्चों और किशोरों के लिए 13 प्रतिशत से 35 प्रतिशत तक होती है। शोध में पता चला कि कोरोना के दौरान इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का उपयोग तेजी से बढ़ने की वजह से पीठ दर्द वाले बच्चे और किशोर अधिक गतिहीन होते हैं, साथ ही उनका अकादमिक प्रदर्शन भी खराब रहा है।
साभार: एजेंसियां, Catch News, सोशल मीडिया नेटवर्क।

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