जैविक खेती: समरहिल के नजदीक ग्राम पंचायत नेरी के एक प्रगतिशील किसान यशवंत सिंह नरवाल …

शिमला : पहाड़ी खेती, समाचार, जैविक खेती को अपनाने वाले एक प्रगतिशील किसान समरहिल के नजदीक ग्राम पंचायत नेरी, गांव नेरी के यशवंत सिंह नरवाल है। जिन्होंने अपनी कोशिशों व मेहनत से पारम्परिक खेतीबाड़ी छोड़कर आधुनिक खेती को अपनाया और उससे भी एक कदम आगे बढ़कर जैविक खेती को अपनाकर घरेलू खाद का प्रयोग व गौमूत्र से ही कीटनाषक दवा तैयार कर विभिन्न नगदी फसलें उगाकर न सिर्फ अच्छी आय अर्जित की है बल्कि अन्य कृषकों को भी जैविक खेती के लिए प्रेरित करने का सराहनीय कार्य कर रहे है ।

एक समय था जब किसान पारम्परिक खेती को ही अपने व्यवसाय के रूप में अपनाते थे लेकिन प्रदेश सरकार के निर्देषानुसार कृषि विभाग द्वारा समय समय पर जागरूकता शिविरों के माध्यम से आधुनिक खेती करने व नगदी फसलों की ओर प्रेरित करने के साथ साथ अच्छी किस्म के बीज बोने, फसलों में फैलने वाले रोग, दवाईयों के छिड़काव तथा कृत्रिम व प्राकृतिक खाद में अन्तर व उपयोग की जानकारी किसानों को दी गई । कृषि विभाग द्वारा आधुनिक खेती व नगदी फसलों को उगाने से सम्बन्धित उपलब्ध करवाई गई महत्वपूर्ण जानकारियों से किसान धीरे-धीरे पारंपरिक खेती को छोड़कर आधुनिक खेती की ओर अग्रसर हो रहे है ।
विभाग के प्रयासों से अब किसान जैविक खेती को भी अपनाने लगे है और घरेलू खाद व गौमूत्र का छिड़काव कर रोग रहित नगदी फसलों को उगाकर आम जनमानस की आवष्यकताओं को पूर्ण करने के साथ साथ अपनी व अपने परिवार की आर्थिकी को भी सुदृड़ कर रहे है ।

यशवंत सिंह नरवाल ने बताया कि उनका परिवार बुजुर्गों के समय से खेतीबाड़ी का कार्य करते आ रहे है । वे बताते है कि उन्हें खेतीबाड़ी से बड़ा लगाव था लेकिन आॅपरेटिव सोसाईटी के राशन डिपु में बतौर सेल्जमैन कार्य करने के कारण डिपु में सुबह से शाम तक लोगों की आवाजाही के कारण व्यस्थता बनी रहती थी जिस कारण खेतीबाड़ी में रूचि होने के बावजूद भी समय नहीं दे पाता था । यशवंत के मुताबिक खेतीबाड़ी की ओर आकर्षण व आर्थिकी बढ़ाने के उद्देश्य से अन्ततः उन्होंने राषन डिपू के सेल्जमैन का पद से त्यागपत्र देकर आधुनिक खेती कर नगदी फसलें उगाने का कार्य आगे बढ़ाया ।
यशवंत सिंह नरवाल के मुताबिक वे विभिन्न नगदी फसलें उगाने के लिए सिंचाई विभाग द्वारा उपलब्ध करवाई गई सिंचाई योजना का लाभ भी ले रहे है । वे बताते है कि उनके पास फसल लगती लगभग 8 से 10 बीघे सिंचाई जमीन है जिसमें वर्तमान में फ्रासबीन, आलू, शिमला मिर्च व हरी मिर्च, बैंगन, टमाटर, तथा फूल गोभी व बन्द गोभी की फसल लगा रखी है । इसके अतिरिक्त कुछ क्षेत्रों में खीरे की फसल भी लगा रखी है ।

उन्होंने बताया कि घर के दैनिक कार्यों के अतिरिक्त सभी फसलों को बेचकर सालाना लगभग 4 लाख रू0 की आमदनी हो जाती है। उन्होंने बताया कि यह सब वे अपनी मेहनत से कर रहे है और इसके लिए उन्होंने एक भी पैसा उपदान के रूप में सरकार से नहीं लिया है।
यशवंत सिंह नरवाल बताते है कि उन्होंने रेन हार्वेसटिंग के तहत छत का बारिष का पानी एकत्रित करने के लिए लगभग 50 हजार लीटर का एक बड़ा टैंक भी निर्मित किया हुुआ है जिसे फसलों की सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
नरवाल ने क्षेत्र के अन्य किसानों विशेषकर बेरोजगार युवाओं को संदेश दिया वर्तमान समय में जहरीले खाद्य पदार्थों से बचने के लिए जैविक खेती की ओर जाएं और अच्छे दाम प्राप्त करने के साथ साथ अपने व अपने परिवार को भी स्वस्थ रखें ।
कृषि विभाग के विषयवाद विशेषज्ञ डा0 के के सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि कृषि विभाग द्वारा किसानों को आधुनिक खेती, नकदी फसलें पैदा करने के साथ-साथ जैविक खेती करने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है । उन्होंने बताया कि जैविक खेती शून्य लागत खेती है इसमें रोग भी कम लगते है और मार्केट में फसलों के अच्छे दाम प्राप्त होते है। उन्होंने कहा कि आज के वातावरण में यदि हमें स्वस्थ रहना है तो हमें जैविक खेती की ओर जाना ही होगा ।
उन्होंने क्षेत्र के अन्य किसानों विषेषकर बेरोजगार युवाओं से आहवान किया कि वे नौकरी की तालाश में न रहें, जैविक खेती को व्यवसाय के रूप में अपनाएं और रोग रहित फसलें पैदा कर स्वस्थ रहे और फसलों के अच्छे दाम प्राप्त कर अपनी व अपने परिवार की आर्थिकी सुदृड़ करें ।
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