सख्ती: केन्‍द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने हेलमेट, प्रेशर कुकर और LPG सिलेंडर के बाद अब बैटरी से चलने वाले वाहनों पर की सख्ती, पूछा आग लगने की वजह बताएं…..

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नई दिल्ली : पहाड़ी खेती, समाचार( 27, जुलाई )केन्‍द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने केन्‍द्र सरकार के निर्देश पर अवैध और नकली सामानों की बिक्री रोकने के लिए देशव्यापी अभियान शुरू किया है।

प्राप्त जानकारी अनुसार सीसीपीए ने बीआईएस (BIS) मानकों के अनुरूप सामान खरीदने के लिए उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता और चेतना बढ़ाने के लिए यह अभियान शुरू किया है। ज्ञात हो कि अभी हाल ही में सीसीपीए ने देशभर में कई बैटरी से चलने वाले वाहनों में आग लगने की घटनाओं के मद्देनजर कई इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं को नोटिस जारी किए हैं।

आपको बता दें कि सीसीपीए ने 24 जुलाई, 2022 को अपनी स्थापना के दो साल पूरे किए हैं। इस मौके पर मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए सीसीपीए की मुख्य आयुक्त निधि खरे ने कहा कि सीसीपीए ने अब तक 129 नोटिस जारी किए हैं, इनमें गुमराह करने पर 71, व्यापार के लिए कपटपूर्ण तरीके अपनाने पर 49 और उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन करने पर 9 के खिलाफ नोटिस जारी किए हैं।

सीसीपीए मुकदमा दायर कर उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करती है

यहां बताते चलें कि सीसीपीए ने अपना पहला सुरक्षा नोटिस हेलमेट, प्रेशर कुकर और रसोई गैस सिलेंडर के संबंध में जारी किया था और दूसरा सुरक्षा नोटिस इलेक्ट्रिक इमल्शन वॉटर हीटर, सिलाई मशीन, माइक्रोवेव ओवन, एलपीजी के साथ घरेलू गैस स्टोव आदि घरेलू सामानों के संबंध में जारी किया गया था।

CCPA की सख्ती

सीसीपीए ने उपभोक्ताओं को ऐसे घरेलू सामान, जिनमें वैध आईएसआई मार्क नहीं है, जैसे इलेक्ट्रिक इमर्शन वॉटर हीटर, सिलाई मशीन, खाद्य पैकेजिंग के लिए एल्युमिनियम फॉयल आदि खरीदने के प्रति सचेत करने के लिए सुरक्षा नोटिस भी जारी किए हैं। ऐसे सामानों के लिए अनिवार्य मानकों का उल्लंघन सार्वजनिक सुरक्षा को खतरे में डालता है और उपभोक्ताओं को भयंकर नुकसान या चोट लगने के खतरे में डालता है।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 आने के बाद आया बदलाव

सीसीपीए ने 21 जनवरी 2020 को बीआईएस कानून, 2016 की धारा 16(1) के तहत केन्‍द्र सरकार द्वारा जारी घरेलू प्रेशर कुकर (गुणवत्ता नियंत्रण) आदेश, 2020 के उल्लंघन में प्रेशर कुकर बेचने वाली ई-कॉमर्स संस्थाओं के खिलाफ संज्ञान लिया है। मुकदमा दायर करने की सीसीपीए का अधिकार उसकी एक अनूठी विशेषता है जो पिछले उपभोक्ता संरक्षण कानून, 1986 में मौजूद नहीं थी। 2019 के कानून से पहले, उपभोक्ताओं को प्रभावित करने वाले व्यापार के लिए कपटपूर्ण तरीके अपनाने और भ्रामक विज्ञापनों के मुद्दों से निपटने के लिए कोई व्‍यवस्‍था नहीं थी। परिणामस्वरूप, इस तरह की व्‍यवस्‍थाएं बिना किसी जवाबदेही के लगातार जारी रहीं।

झूठे और गुमराह विज्ञापन किए गए बंद

केन्‍द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की स्थापना, उपभोक्ताओं के हितों के लिए अनुचित और हानिकारक कार्य प्रणालियों को बंद करने का आदेश पारित करने और झूठे और गुमराह करने वाले विज्ञापनों के मामले में जुर्माना लगाकर उपभोक्‍ताओं को राहत प्रदान करना है। साथ ही यह उपभोक्‍ताओं को आयोग तक जाने का रास्‍ता प्रदान करना है। सीसीपीए मुकदमा दायर कर उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करती है, यहां तक ​​कि सोए हुए उपभोक्ताओं के भी जो अपने अधिकारों से अनजान हैं।

कोरोना काल के बाद हुई बड़ी कार्रवाई

वर्ष 2020 में महामारी फैलने के कारण उपभोक्ताओं के दिल में डर बैठक गया जिसका फायदा कई कंपनियों ने भ्रामक विज्ञापनों के माध्यम से उठाया, जिस पर सीसीपीए ने संज्ञान लिया और ऐसी चूक करने वाली कंपनियों को नोटिस जारी किया। कोविड-19 महामारी में उपभोक्‍ता की संवेदनशीलता के मद्देनजर, भ्रामक विज्ञापनों के लिए विभिन्न कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई। सीसीपीए की सख्ती के बाद 15 कंपनियों ने अपने विज्ञापन वापस ले लिए और 3 कंपनियों ने सुधार करके विज्ञापन दिए।

सीसीपीए ने सेंसोडाइन उत्‍पादों के विज्ञापन बंद करने का आदेश दिया जो दावा कर रहे थे “दुनिया भर के दंत चिकित्सकों द्वारा अनुशंसित” और “दुनिया का नंबर 1 संवेदनशीलता वाला टूथपेस्ट” और “चिकित्सकीय रूप से राहत देने वाला, 60 सेकंड में काम करता है” जहां सीसीपीए ने 10 लाख रुपये का जुर्माना देने का निर्देश दिया और जुर्माने का भुगतान किया गया।

साभार: एजेंसियां, News 18, सोशल मीडिया नेटवर्क।

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