देश में अब बड़े अस्पताल भी खोल सकेंगे अपना मेडिकल कॉलेज, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की बैठक में हुए कई अहम फैसले: पढ़ें पूरी खबर….
- देश में मेडिकल एजूकेशन को अफोर्डेबल बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है।
- केंद्र सरकार ने देश के प्रतिभाशाली स्टूडेंट्स को देश में ही मेडिकल एजूकेशन की अतिरिक्त सीटें उपलब्ध कराने की दिशा में भी तैयारियां की हैं।
नई दिल्ली: पहाड़ी खेती, समाचार ( 14, मार्च )देश के बड़े अस्पताल भी अब अपना मेडिकल कॉलेज खोल सकेंगे। यह फैसला केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया की बैठक में लिया गया है।
दरअसल यह बैठक इसी मुद्दे को लेकर की गई थी, जिसमें देशभर के करीब 62 बड़े अस्पतालों ने शिरकत की। मंत्रालय ने एमबीबीएस की सीट बढ़ाने और बाहर पढ़ाई करने जाने वाले स्टूडेंट के मद्देनजर यह कदम उठाया है। इसको लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने देश के प्रतिष्ठित अस्पतालों से अपील की थी कि वे मेडिकल एजुकेशन के क्षेत्र में आएं।
केंद्र सरकार ने देश के प्रतिभाशाली स्टूडेंट्स को देश में ही मेडिकल एजूकेशन की अतिरिक्त सीटें उपलब्ध कराने की दिशा में भी तैयारियां की हैं। इसके साथ ही देश में मेडिकल एजूकेशन को अफोर्डेबल बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने निजी अस्पतालों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर उनसे एमबीबीएस और स्नातकोत्तर चिकित्सा पाठ्यक्रम शुरू करने का आग्रह किया है। इस कदम का उद्देश्य चिकित्सा का अध्ययन करने के लिए विदेश जाने वाले भारतीय छात्रों को रोकना है। स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि उम्मीद है कि निजी अस्पतालों के माध्यम से इस साल लगभग 1,500 अतिरिक्त मेडिकल सीटें उपलब्ध हो जाएंगी।
15-20 अस्पताल इस साल कुछ सीटों से शुरुआत करेंगे
मंडाविया ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा, मैं व्यक्तिगत रूप से अपने डॉक्टरों को विदेशों के बजाय भारत में प्रशिक्षण देने के पक्ष में हूं। मैंने हाल ही में लीलावती, अमृता अस्पताल, मेदांता, ब्रीच कैंडी और कोकिलाबेन सहित 62 निजी अस्पतालों के साथ बैठक की और उनसे स्नातक चिकित्सा पाठ्यक्रम शुरू करने का आग्रह किया। मुझे उम्मीद है कि उनमें से कम से कम 15-20 अस्पताल इस साल कुछ सीटों से शुरुआत करेंगे। मंत्रालय ने बताया कि इस बैठक में कोकिला बेन, सत्य साई, जसलोक, ब्रिज कैंडी, अपोलो जैसे अस्पताल शामिल हुए। जो अस्पताल मेडिकल एजूकेशन के क्षेत्र में अपनी रुचि दिखाएंगे और मेडिकल कॉलेज खोलेंगे, उन्हें जमीन उपलब्ध कराई जाएगी। उन्हें कठिन- जटिल प्रक्रिया या लंबे पेपर वर्क जैसे नियमों में ढील दी जाएगी।
घटिया संस्थानों को बाहर निकालने की एक सख्त प्रक्रिया
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, अस्पतालों को कहा गया है कि वे किसी भी कार्यक्रम को शुरू करते समय सामर्थ्य को ध्यान में रखें। इसके साथ ही सरकार सब पर नजर रखेगी और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए घटिया संस्थानों को बाहर निकालने की एक सख्त प्रक्रिया रखी जाएगी। उन्होंने बताया कि निजी अस्पतालों में से कुछ के पास बेहतरीन बुनियादी ढांचे हैं, लेकिन चिकित्सा शिक्षा में उनकी उपस्थिति बहुत सीमित है। हम इसे बदलने की कोशिश कर रहे हैं। चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने के लिए निजी अस्पतालों को लाना कुछ वर्षों से एक नीतिगत प्राथमिकता रही है। लेकिन यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के मद्देनजर इस मामले की तात्कालिकता प्रबल हो गई है।
साभार: एजेंसियां, News 18, सोशल मीडिया नेटवर्क।