कर्ज में डूबे हिमाचल के लिए औषधि बनेगी भांग व अफीम की खेती ? मिलेगा कानूनी दर्जा, सरकार ने गठित की कमेटी, पढ़ें पूरी खबर..

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भांग और गांजे का नाम सुनते ही आपके दिमाग में जो सबसे पहला शब्द आता है वो है नशा। हालांकि, इनका प्रयोग आयुर्वेद में औषधि के तौर पर भी होता है। खैर, आज इस पौधे के गुणों पर नहीं बल्कि भांग की खेती को लेकर बजट सत्र में नियम 63 के तहत हुई चर्चा को लेकर बात करेंगे। विधानसभा में बजट सत्र के अंतिम दिन नियम 63 के तहत भांग की खेती को लीगल करने को लेकर जनप्रतिनिधियों द्वारा एक सार्थक चर्चा लाई गई। जिस पर CM सुक्खू ने जवाब दिया है। पढ़ें पूरी खबर…

शिमला:  पहाड़ी खेती, समाचार ( 08, अप्रैल)हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती कानूनी दर्जा देने के लिए नीति बनाने पर प्रदेश सरकार विचार करेगी। यह बात मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल विधानसभा में एक संकल्प के जवाब में कही।

दरअसल, भाजपा विधायक पी०सी० ठाकुर इस संबंध में विधानसभा में नियम 63 के तहत एक संकल्प प्रस्ताव लेकर आए थे। इसका सीएम सुक्खू ने जवाब दिया है। उन्होंने भांग की खेती वैध करने के लिए सदन में पांच सदस्यीय कमेटी के गठन का एलान किया है। इस कमेटी के अध्यक्ष राजस्व एवं बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी होंगे, जबकि विधायक पूर्ण चंद, हंसराज, डॉ. जनकराज, सुंदर ठाकुर सदस्य होंगे।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में कहा कि भांग को औषधि के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। कैंसर, मधुमेह, तनाव आदि की दवाओं में इसका इस्तेमाल होता है, लेकिन रिपोर्ट आने के बाद ही इसका सही इस्तेमाल पता चलेगा। यह भी देखना होगा कि नशे की प्रवृति न बढ़े।

प्रदेश में युवाओं को मिलेगा रोजगार, सरकार की आय में होगी वृद्धि : पूर्णचंद ठाकुर

विधानसभा के बजट सत्र में भांग की खेती को वैद्य किए जाने की चर्चा में भाग लेते हुए विधायक पूर्णचंद ठाकुर ने कहा कि यह लोगों के रोजगार से जुड़ा मामला है। इससे युवाओं को रोजगार मिलेगा, वहीं सरकार की आय में भी बढ़ोतरी होगी।

पूर्व सरकार ने भांग की खेती पर नही दिखाई गम्भीरता : सुंदर सिंह ठाकुर

विधायक सुंदर सिंह ठाकुर ने कहा कि जब वह विपक्ष में थे उस समय भी इस विषय पर बोलते थे, लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। उन्होंने कहा कि यह चंबा, कांगड़ा, शिमला समेत पहाड़ी क्षेत्रों से जुड़ा मुद्दा है। इससे कैंसर, ट्यूमर, समेत कई रोगों की दवाएं बनती हैं। उन्होंने कहा कि इस्राइल ने भी भांग से कोरोना की दवा बनाई थी, इसके अलावा हमें भांग को चिट्टे से नहीं जोड़ना चाहिए।

10 से 12 फीट का होता भांग का औषधीय पौधा : सुरेंद्र शौरी

सुरेंद्र शौरी ने कहा कि भांग की नशीली और औद्योगिक खेती में अंतर है। भांग का नशे वाला पौधा 2 से 3 जबकि औषधीय गुण वाला पौधा 10 से 12 फीट का होता है। औषधीय पौधे में 0.03 फीसदी नशा होता है।

भांग को डाॅक्टरों की सलाह पर सही मात्रा में लिया जाए तो है अच्छी दवा : हंसराज

विधायक हंसराज ने कहा कि अगर भांग को डाॅक्टरों की सलाह पर सही मात्रा में लिया जाए तो यह अच्छी दवा है। उन्होंने कहा कि उनके दादा इस औषधीय पौधे का इस्तेमाल दवाई के तौर पर करते थे जिस कारण वह लंबा जीवन जिये। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी बीमार हुई थी तो डाॅक्टरों ने भांग के तेल के लिए कहा था। चुराह, भरमौर और डलहौजी में 600 लोग अंदर गए हैं, जबकि 400 पर केस हैं।

भांग के अतिरिक्त अफीम में भी औषधीय गुण : जनकराज

विधायक डॉ. जनकराज ने कहा कि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश में भांग की खेती के लाइसेंस दिए हैं। उन्होंने कहा कि भांग के अतिरिक्त एक और पौधा अफीम की खेती को भी लीगल किया जाना चाहिए। अफीम से कैंसर, एक्सीडेंट मरीजों का उपचार, मेडिसिन और आयुर्वेदिक में इसका प्रयोग होता है। इसके अलावा मिरगी का दौरा, ब्लड कैंसर, कीमोथैरेपी, न्यूरो से संबंधित बीमारी में भी दर्द कम करने में इसका प्रयोग किया जाता है। सरकार को इस पर नीति बनाने की जरूरत है।

गौरतलब है कि नियम 63 के अंतर्गत भांग की खेती को कानूनी दर्जा देने के लिए सदन में हुई सार्थक चर्चा के अध्ययन के बाद हिमाचल प्रदेश में एक पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। यह समिति एक महीने के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। जिसमे भांग और अफीम के औषधीय गुणों और नशीले पदार्थ होने पर विस्तृत जानकारी होगी। इस पांच सदस्यीय समिति की रिपोर्ट के अध्धयन के बाद ही सुक्खू सरकार भांग व अफीम की खेती को कानूनी दर्जा देने के लिए फैसला लेगी।

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