हिमाचल सरकार: आर्थिक बदहाली के बावजूद भी हेलिकॉप्टर के साथ-साथ एयरक्राफ्ट की सेवाएं लेने को तैयार: पढ़ें पूरी खबर..
- हिमाचल सरकार के पास अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी का हेलिकॉप्टर है। यह हेलिकॉप्टर छह सीटर है।
- कंपनी का टेंडर 30 अप्रैल को खत्म होने जा रहा है।
- अब प्रदेश सरकार 6 से 8 सीटर हेलिकॉप्टर लीज पर लेने जा रही है।
शिमला: पहाड़ी खेती, समाचार (10, अप्रैल) एक तरफ सरकार जहां हिमाचल प्रदेश पर 75 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज होने का ढोल पीट रही है, वहीं अब सरकार नए हेलिकॉप्टर के साथ एयरक्राफ्ट की सेवाएं लेने जा रही है। इसका इस्तेमाल बाहरी राज्यों से आने और प्रदेश से बाहरी राज्यों को जाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। प्रदेश सरकार ने हेलिकॉप्टर को लीज पर लेने के टेंडर दस्तावेज में आदेश संख्या जीएडी-ए(ई)-3-1/2-2023 में इस बात को जोड़ा है।
यह टेंडर 11 अप्रैल को खुलेगा। जिस कंपनी से सरकार हेलिकॉप्टर लेगी, उसी कंपनी को एयरक्राफ्ट स्पर्धात्मक दरों पर उपलब्ध कराना होगा। इस दस्तावेज में इस बात को भी जोड़ा गया है कि प्रदेश सरकार 15 साल से ज्यादा पुराना हेलिकॉप्टर लीज पर नहीं लेगी। सचिवालय सामान्य प्रशासन ने टेंडर दस्तावेज में संशोधन किया है। दस्तावेजों में यह भी स्पष्ट किया है कि सरकार हेलिकॉप्टर के आने के लिए पांच से छह महीने इंतजार नहीं करेगी।
टेंडर आवंटित होने के बाद कंपनी को 15 दिन के भीतर सरकार को हेलिकॉप्टर उपलब्ध कराना होगा। यह भी स्पष्ट किया गया है कि जरूरत पड़ने पर राज्य सरकार राज्य से बाहर और बाहरी राज्य से हिमाचल आने के लिए फिक्स विंग एयरक्राफ्ट की सेवाएं लेगी। हेलिकॉप्टर और एयरक्राफ्ट मुख्यमंत्री के दौरे के अलावा जनजातीय क्षेत्रों में सेवाओं के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
हिमाचल सरकार के पास अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी का हेलिकॉप्टर है। यह हेलिकॉप्टर छह सीटर है। कंपनी का टेंडर 30 अप्रैल को खत्म होने जा रहा है। अब प्रदेश सरकार 6 से 8 सीटर हेलिकॉप्टर लीज पर लेने जा रही है। सचिवालय सामान्य प्रशासन का कहना है कि 10 अप्रैल तक कंपनियों से आवेदन मांगे गए हैं। 11 अप्रैल को टेंडर खुलेगा। इसमें जिस कंपनी के रेट सबसे कम होंगे, उसे टेंडर दिया जाएगा।
हेलिकॉप्टर से महंगा पड़ेगा एयरक्राफ्ट
रूस की स्काई वन कंपनी के हेलिकॉप्टर का नाम एमआई 172 था। इसे पांच लाख 10 हजार रुपये प्रति घंटे की दर पर लीज पर लिया गया। अन्य हेलिकॉप्टर के लीज रेट भी इसी तरह लाखों रुपये प्रति घंटे होते हैं। एयरक्राफ्ट तो और भी महंगा पड़ेगा। ऐसा माना जा रहा है। गौर हो कि कर्ज लेकर घी पीने वाली प्रवृत्ति से देश के कई प्रदेश बर्बादी की कगार पर खड़े है।
साभार: एजेंसियां, अमर उजाला, सोशल मीडिया नेटवर्क।