सचिन पायलट ने यूसीसी पर मोदी सरकार को घेरा, बोले- “सरकार ने जनता के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए छोड़ा है यूसीसी का शगूफा”

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नई दिल्ली:  पहाड़ी खेती, समाचार (09, जुलाई )कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर बेहद तीखा हमला करते हुए कहा कि महत्वपूर्ण मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए सरकार ने समान नागरिक संहिता का शगूफा छेड़ा है।

राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से नाराज चल रहे सचिन पायलट ने कांग्रेस आलाकमान द्वारा गहलोत के साथ कराये गये सुलह-सपाटे के बाद मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए बेहद तंज भरे लहजे में कहा कि बिना किसी ठोस प्रस्ताव के यूसीसी की बात करना ‘हवा में तीर चलाने’ जैसा है।

उन्होंने कहा, “यूसीसी की गुगली सरकार ने जानबूझकर जनता के बीच फेंकी है ताकि वो उन्हीं जनता से जुड़े जरूरी मुद्दों से ध्यान भटका सकें। लेकिन इसका कोई खास असर होने वाला नहीं है, जनता अपने अधिकारों के प्रति बेहद जागरूक है और वो आने वाले आम चुनाव में सरकार से बेरोजगारी, गरीबी और भुखमरी जैसे मुद्दों पर जरूर जवाब मांगेगी।”

समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए सचिन पायलट ने आरोप लगाया कि सरकार यूसीसी को लेकर अब तक कोई प्रस्ताव या खाका लेकर सामने नहीं आई है, लेकिन वह इसे राजनीतिक टूल के रूप में जरूर इस्तेमाल कर रही है। पायलट ने यूसीसी पर छिड़ी बहस और इस पर कांग्रेस के रुख के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘समान नागरिक संहिता क्या है, क्या कोई विधेयक आया है, क्या कोई प्रस्ताव आया है, क्या कोई खाका तैयार किया गया है, पता ही नहीं है। यूसीसी के नाम पर अलग-अलग लोग, अलग-अलग दल, अलग-अलग धर्मगुरु अपनी राय दे रहे हैं।’

यूसीसीसके मुद्दे पर पायलट ने अपने सवाल से मोदी सरकार को घेरते हुए कहा, ‘सरकार का प्रस्ताव क्या है, संसद की स्थाई समिति क्या बोल रही है, क्या संसद में कोई विधेयक आया है, यूसीसी की परिभाषा क्या है?’

सचिन पायलट ने कहा कि बिना किसी ठोस प्रस्ताव के यूसीसी पर बात करना ‘हवा में तीर चलाने’ जैसा है, इस सरकार की आदत है शगूफे छोड़ने की। इस बार उन्होंने यूसीसी का शगूफा छेड़ा है। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘सरकार ने यूसीसी की गुगली डाल दी है, चर्चा करते रहिए, बहस करते रहिए। किसी को यूसीसी प्रस्ताव के बारे में कुछ भी पता नहीं है।’

इसके साथ ही पायलट ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार जानबूझकर ध्यान भटकाने के लिए ऐसे शगूफे छोड़ती रहती है ताकि महंगाई, गरीबी और अन्य गंभीर मुद्दों पर जनता के बीच में हो रही चर्चा से ध्यान भटकाया जाए। उन्होंने कहा, ‘मैं समझता हूं कि अगर किसी वंचित, चाहे वह पुरुष हो या महिला, को अधिकार देना है या मान-सम्मान देना है, संपत्ति का अधिकार देना है, सशक्त बनाना है, तो फिर किसे आपत्ति हो सकती है, लेकिन इसे लेकर कोई खाका ही नहीं है, सिर्फ राजनीतिक टूल का इस्तेमाल किया गया है।’

मालूम हो कि यूसीसी विवाह, तलाक और उत्तराधिकार पर समान कानून लागू करने के लिए है। अमल में आने पर यह देश के सभी नागरिकों पर लागू होगा। धर्म, जाति, समुदाय या स्थानीय परंपराओं के आधार पर कानून में भेदभाव नहीं किया जाएगा। विधि आयोग ने यूसीसी पर लोगों से राय मांगी है।

साभार: एजेंसियां, पी टी आई, lokmat News, सोशल मीडिया नेटवर्क।

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