HP High Court: हिमाचल में त्रुटिपूर्ण इंजीनियरिंग से सड़कों, पुलों और सुरंगों का निर्माण बना बरसात में तबाही का कारण ! हाईकोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी कर किया जवाब तलब, पढ़ें पूरी खबर…..

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शिमला: पहाड़ी खेती, समाचार (05, अगस्त )हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अवैज्ञानिक तरीके से सुरंगें और राजमार्ग बनाने पर हाईकोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी किया है। हाल ही में भारी बारिश से प्रदेश के राजमार्गों खासकर चंडीगढ़ से शिमला और चंडीगढ़-मनाली हाईवे को हुए नुकसान पर अदालत ने अटॉर्नी जनरल से जवाब मांगा है।

मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 21 अगस्त को निर्धारित की है। अदालत ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में हाल ही में भारी बारिश के कारण राष्ट्रीय राजमार्गों पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। भूस्खलन से राजमार्गों को काफी नुकसान हुआ है और विशेष रूप से चंडीगढ़-शिमला और चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग भूमि के कटाव से बाधित हैं।

इससे सामान्य जीवन में व्यवधान आया है। अदालत ने कहा कि समस्या की भयावहता को ध्यान में रखते हुए अटॉर्नी जनरल का पक्ष जानना जरूरी है। इंजीनियरिंग के क्षेत्र में 45 वर्ष के अनुभव वाले इंजीनियर की शिकायत पर अदालत ने कड़ा संज्ञान लिया है। श्यामकांत धर्माधिकारी की ओर से लिखे पत्र में आरोप लगाया गया कि पहाड़ों के कटान से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है।

प्रदेश में त्रुटिपूर्ण इंजीनियरिंग से बनाई जा रही भूमिगत सुरंगें, सड़कें और पुलों से पहाड़ों का अनियोजित उत्खनन किया जा रहा है। सड़कों में ढलान और अवैज्ञानिक तरीके से पुलों और सुरंगों का निर्माण करना नुकसान का कारण बनता है। अदालत को बताया गया कि हालांकि इंजीनियरिंग के बिना राष्ट्र निर्माण की अपेक्षा नहीं की जा सकती है।

आज के जमाने में इंजीनियरिंग और वास्तु कला की सख्त जरूरत है, लेकिन यदि इंजीनियरिंग और वास्तु कला में जरा सी भी त्रुटि पाई जाती है तो हजारों मासूमों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। तकनीक की कमी और पुराने उपयोग के कारण सड़क की रिटेनिंग दीवारें कमजोर हैं। जल निकासी के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं है।

चिंता का विषय है कि सड़क के दोनों तरफ की तीन मीटर जमीन अतिरिक्त रूप से अधिग्रहीत की गई है, जबकि शहरों और गांवों में सर्विस लेन नहीं हैं, जिससे आए दिन दुर्घटनाओं का खतरा रहता है। व्यापक वनों की कटाई के कारण मिट्टी का कटाव हुआ है जो लगातार भूस्खलन का कारण बन रहा है।

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