चंद्रयान-3 लैंडिंग: गड़बड़ हुई तब भी चांद पर सेफ लैंडिंग करेगा चंद्रयान-3, इसरो की है खास तैयारी, पढ़ें पूरी खबर….

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चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर में एक इनबिल्ट “बचाव मोड” है जो इसे उतरने में मदद करेगा, भले ही सब कुछ गलत हो जाए,”इसमें कोई संदेह नहीं है” कि विक्रम चांद पर सुरक्षित रूप से उतरेगा – एयरोस्पेस वैज्ञानिक प्रोफेसर राधाकांत पाधी

नई दिल्ली: पहाड़ी खेती, समाचार (21, अगस्त)लूना-25 के चांद पर लैडिंग के दौरान क्रैश होने के साथ ही रूस का चांद मिशन फेल चुका है लेकिन, भारत का चंद्रयान-3 हर पल चांद की सतह की तरफ बढ़ रहा है। भारतीय वैज्ञानिक इस बात को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि चांद पर सेफ लैंडिंग तो पक्की है।

पहले इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ भी दावा कर चुके हैं कि विक्रम लैंडर चांद पर सेफ लैंडिंग करके ही रहेगा। हालांकि उन्होंने लैंडिंग के दौरान आखिरी 15 मिनट बेहद महत्वपूर्ण बताए। अब एक एयरोस्पेस वैज्ञानिक ने भी दावा किया है कि चंद्रयान-3 किसी भी सूरत में चांद पर सेफ लैंडिंग करेगा ही। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 की असफलता के बाद बहुत सारे सुधार किए गए हैं।

भारतीय संस्थान विज्ञान विभाग, बेंगलुरु में भारतीय संस्थान विज्ञान विभाग के एयरोस्पेस वैज्ञानिक प्रोफेसर राधाकांत पाधी ने बताया कि चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर में एक इनबिल्ट “बचाव मोड” है जो इसे उतरने में मदद करेगा, भले ही सब कुछ गलत हो जाए,”इसमें कोई संदेह नहीं है” कि विक्रम चांद पर सुरक्षित रूप से उतरेगा। उन्होंने बताया कि चंद्रयान-2 की विफलता के बाद बहुत सारे सुधार किए गए हैं।

चंद्रयान-2 के वक्त अति उत्साहित थे वैज्ञानिक
राधाकांत पाधी चंद्रयान 2 और चंद्रयान-3 दोनों के प्रक्षेपण में शामिल रहे हैं। भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु का एयरोस्पेस विभाग भी चंद्रमा मिशन में योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के वैज्ञानिक चंद्रयान-2 को लेकर ‘अति-आत्मविश्वास’ में थे और चंद्रयान-3 का डिजाइन दर्शन यह है कि सब कुछ गलत होने पर भी इसे चांद पर सुरक्षित उतरना चाहिए।

चंद्रयान-3 पर इतने विश्वास की वजह
राधाकांत पाढ़ी ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि लैंडर सफल होगा। उन्होंने कहा, चंद्रयान-3 को छह “सिग्मा सीमाओं” के लिए डिज़ाइन किया गया है, इसलिए यह अधिक मजबूत है। प्रोफेसर पाधी ने कहा, “चंद्रयान-3 का तनाव परीक्षण किया गया है, इसरो ने सभी ज्ञात और अज्ञात कारणों का ध्यान रखा है।”

विक्रम लैंडर की खासियत
उन्होंने बताया कि पृथ्वी पर चंद्र स्थितियों की नकल करना असंभव है, फिर भी विक्रम लैंडर सर्वोत्तम लैंडिंग साइट की खोज के लिए खतरे का पता लगा सकता है। उन्होंने कहा, “विक्रम लैंडर में दो ऑन-बोर्ड कंप्यूटर हैं, जबकि, चंद्रयान-2 में केवल एक था,” उन्होंने कहा कि उन्हें “99.9%” विश्वास है कि विक्रम लैंडर उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन करेगा।

चांद की नई तस्वीरें
चंद्रयान-3 के लैंडर द्वारा ली गई चंद्रमा की नवीनतम तस्वीरों में कुछ प्रमुख गड्ढों की पहचान की गई है। तस्वीरें एक कैमरे द्वारा ली गई थीं, जिसका काम विक्रम लैंडर को बुधवार शाम को अज्ञात चंद्र दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र पर ऐतिहासिक टचडाउन से पहले एक सुरक्षित लैंडिंग क्षेत्र ढूंढने में मदद करना था।

गौरतलब है कि लैंडर 23 अगस्त की शाम 6:04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र को छूने वाला है। इस सफलता के साथ ही भारत अमेरिका, रूस और चीन के साथ यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश तथा चांद के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र पर लैंड करने वाला पहला देश बन जाएगा।

साभार: एजेंसियां, livehindustan.com, सोशल मीडिया नेटवर्क।

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