गिलोय को मिले राज्य और राष्ट्रीय औषधि का दर्जा, हरपाल सिंह राणा ने सरकार के समक्ष रखी मांग, पढ़े पूरी खबर..

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शिमलाः  पहाड़ी खेती, समाचार, (ओ.पी.ठाकुर); कोरोना काल में सबसे अधिक अगर किसी औषधि का इस्तेमाल हुआ है तो वो गिलोय है। कई तरह के रोगों को खत्म करने वाली गिलोय राष्ट्रीय औषधि घोषित हो सकती है। केंद्र सरकार इस मुद्दे पर विचार कर रही है। सभी राज्यों में इसका प्रचार प्रसार करने की केंद्र ने रणनीति तैयार की है। गिलोय कई तरह की बीमीरियों से लड़ने में कारगार है। इसके गुणों को लेकर विभिन्न राज्यों में 30 से अधिक शोध करने की तैयारी की है। आयुष मंत्रालय ने एक आरटीआइ में गिलोय को राष्ट्रीय औषधि घोषित किए जाने के प्रयासों के बारे में पूछे जाने पर यह जानकारी दी है। 

फ़ोटो : गिलोय..

पौराणिक कथाओं में गिलोय का उल्लेख मिलता है। जिसमें कहा गया है कि गिलोय के गुण, अमृत के समान हैं। यह बात भी साबित हो चुकी है कि गिलोय अलग-अलग बीमारियों में लाभदायक है। इसे आयुर्वेद, होम्योपैथी और प्राकृतिक चिकित्सा के रूप में उपयोग किया जा रहा है। कोराना काल में भी गिलोय राम बाण साबित हुई है। कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए बनाई गईं आयुर्वेदिक दवाइयों में गिलोय का उपयोग प्रचुर मात्रा में किया गया है। बुखार के साथ साथ आजकल शुगर, एलर्जी और अस्थमा आदि के इलाज में भी इससे इलाज किया जा रहा है। 

हरपाल सिंह राणा ने प्रेस क्लब शिमला में मीडिया को सम्बोधित करते हुए कहा कि गिलोय को राज्य और राष्ट्रीय औषधि घोषित कराने के लिए वह कई वर्षों से प्रयास कर रहें है। जिसमें सकारात्मक प्रगति हो रही है। हरपाल सिंह राणा ने अपने सम्बोधन में कहा कि इसके लिए उन्होंने शिमला नगर निगम की महापौर, प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर आग्रह किया है कि गिलोय को राज्य औषधि घोषित किया जाए तथा इसका प्रचार -प्रसार करके प्रदेश के नागरिकों को जागरूक किया जाए। शिमला व आसपास के क्षेत्र में लगभग 15 स्थानों पर गिलोय बांटी व लगाई गई । उन्होंने बताया कि बीते वर्ष उन्होंने आयुष मंत्रालय में आरटीआई लगाई थी जिसका जवाब आयुष मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय औषधीय बोर्ड की ओर से अप्रैल में उनके पास आया है। जिसमें केंद्र सरकार ने भी गिलोय को गुणों से भरपूर माना है। केंद्र ने जवाब में कहा है कि सरकार गिलोय का प्रचार प्रसार किया जाएगा। 

बता दें कि गांव कादीपुर निवासी व आरटीआइ कार्यकर्ता हरपाल सिंह राणा गिलोय को राष्ट्रीय औषधि घोषित कराने के लिए दो साल से संघर्ष कर रहे हैं। दिल्ली समेत कइ राज्यों को 50 से अधिक पत्र इस बारे में लिखे कि गिलोय को राज्य औषधि घोषित किया जाए। 

गिलोय राज्य औषधि घोषित हो, CM को राणा ने सौंपा ज्ञापन

गिलोय के व्यापक प्रचार-प्रसार करे सरकार – राणा

( 1 ) जिस प्रकार से राष्ट्रीय पक्षी मोर, राष्ट्रीय पुष्प कमल आदि राज्यों और राष्ट्रीय महत्व के प्रतीक हैं उसी प्रकार से राज्य औषधि गिलोय को बनाए जाने की आवश्यकता है।

( 2 ) गिलोय औषधि करोना बीमारी सहित 100 से अधिक अलग – अलग अन्य बीमारियों में लाभदायक है ।

( 3 ) इसे आयुर्वेदिक , होम्योपैथिक और प्राकृतिक चिकित्सा के रूप में उपयोग किया जाता है ।

( 4 ) जिसको राष्ट्रीय औषधि घोषित करने के साथ – साथ करोना कॉल में इसका प्रचार – प्रसार करना बहुत ही लाभदायक हो सकता है।

( 5 ) अपने खास गुणों की वजह से गिलोय को आयुर्वेद में गुणुची और अमृता भी कहा जाता है , जिससे बुखार डायबिटीज , एलर्जी और अस्थमा आदि अनेकों बीमारियों का इलाज किया जाता है ।

( 6 ) अच्छी बात ये है कि गिलोय को दैनिक जीवन में भी तय मात्रा में लिया जा सकता है इसलिए गिलोय को राष्ट्रीय औषधि , राज्य औषधि घोषित करवा कर इसका प्रचार प्रसार , उपयोग बढ़ाकर राज्य के नागरिकों के स्वास्थ्य में अमूल चूल परिवर्तन किया जा सकता है ।

( 7 ) लेकिन जानकारी के अभाव में इनके फायदे देश के नागरिकों तक नहीं पहुंच रहे हैं ।

( 8 ) जबकि दूसरी तरफ अमेरिका जैसे विकसित देश हमारे ही देश की जड़ी बूटियों को पेटेंट करवाकर उनसे लाभ उठा रहे हैं ।

( 9 ) अब वक़्त आ गया है , जब हमें अपनी विरासत को संभालना होगा और उसे उचित सम्मान देना होगा , तभी भारत सही मायने में विश्व गुरु बन सकता है ।

( 10 ) आयुर्वेद के कुछ अन्य औषधि आंवला , हरड़ , बहेड़ा , हल्दी , एलोवेरा , नीम और सूखी अदरक आदि को भी रखा गया है ये सारी चीज़े मानव शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करती हैं ।

( 11 ) इसलिए गिलोय के साथ – साथ इसका भी प्रचार – प्रसार करना आवश्यक है , जिससे व्यक्ति की स्वयं की प्रतिरोधक क्षमता इतनी अधिक बढ़ जाती है , कि वह खतरनाक से खतरनाक बीमारी तक को भी स्वयं नियंत्रित कर सकती है ।

( 12 ) इसलिए उपरोक्त दवाइयों सहित अधिक से अधिक आयुर्वेदिक दवाइयों का प्रचार प्रसार किया जाए , और गिलोय को राज्य औषधि घोषित किया जाए ।

( 13 ) इसका प्रचार आरंभ राज्य के नागरिकों को जागरूक किया जाए । जिससे इसका अधिक से अधिक उपयोग होकर नागरिकों को बीमारियों से छुटकारा मिल सके। 

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