राज्यपाल को गुरमीत बेदी ने अपनी साहित्यिक कृतियां भेंट की

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चंडीगढ़:  पहाड़ी खेती, समाचार,

राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर को चंडीगढ़ में हिमाचल प्रदेश सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के उप-निदेशक एवं कवि गुरमीत बेदी ने अपनी साहित्यिक कृतियां भेंट की।

इस अवसर पर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने लेखक के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार साहित्य, कला, संस्कृति के संरक्षण व संवर्द्धन के लिए प्रतिबद्ध है और प्रदेश में लेखकों व कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक मंच प्रदान किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि प्रदेश के लेखक व साहित्यकार निरंतर सृजनात्मक कार्य कर रहे हैं।

राज्यपाल ने गुरमीत बेदी द्वारा साहित्य की हर विधा में लेखन करके राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार हासिल करने के लिए उन्हें बधाई दी और आशा व्यक्त की कि वे भविष्य में भी अपनी लेखनी से साहित्य जगत को समृद्ध करते रहेंगे।

हिमाचल साहित्य अकादमी से पुरस्कृत गुरमीत बेदी ने अपने 38 साल के लेखकीय सफर में 3 उपन्यास, 2 कहानी संग्रह, 2 कविता संग्रह, 3 व्यंग्य संग्रह व 2 शोध पुस्तकें लिखी हैं। उन्होंने कई साहित्यिक पुस्तकों व पत्रिकाओं का संपादन भी किया है। उनकी पुस्तकें विश्व पुस्तक मेले का हिस्सा भी बन चुकी हैं। उनके कविता संग्रह ‘मेरी ही कोई आकृति’ व कहानी संग्रह ‘सूखे पत्तों का राग’ का जर्मन भाषा  में अनुवाद हुआ है। गुरमीत बेदी जर्मनी व माॅरीशस में आयोजित वल्र्ड पोएट्री फेस्टिवल में भी भाग ले चुके हैं और उन्हें देश-विदेश के कई प्रमुख पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

गुरमीत बेदी के पहले  कविता संग्रह ‘मौसम का तकाजा’ के लिए  उन्हें  हिमाचल साहित्य अकादमी अवार्ड व कहानी संग्रह ‘कुहासे में एक चेहरा’ के लिए   पंजाब कला साहित्य अकादमी अवार्ड भी मिल चुका है। गुरमीत बेदी को व्यंग्य लेखन के लिए कनाडा का विरसा अवार्ड और प्रतिष्ठित ‘व्यंग्य यात्रा’ सम्मान भी मिला है।  दिल्ली के हिंदी भवन में उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है। गुरमीत बेदी के उपन्यास ‘खिला रहेगा इंद्रधनुष’ पर एक टेलीफिल्म भी बन रही है।  

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