कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि वह फौजी हैं। कभी हार कर मैदान छोड़ना नहीं सीखा….

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चण्डीगढ़:  पहाड़ी खेती, समाचार,  भाजपा में शामिल होने की अटकलों के बीच कैप्टन अमरिंदर सिंह का बड़ा बयान सामने आया है। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि वह भाजपा में शामिल नहीं हो रहे।

गौरतलब है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह कल शाम भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने उनके घर पहुंचे थे। शाम करीब 6 बजे कैप्टन की गाड़ियों का काफिला शाह के निवास पर पहुंचा था। कैप्टन चंडीगढ़ से मंगलवार को यहां निजी यात्रा पर आए थे और उन्होंने कपूरथला हाउस के मुख्यमंत्री निवास से अपना सामान हटा कर उसे नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के लिए खाली कर दिया था।

कैप्टन अमरिंदर सिंह और गृह मंत्री अमित शाह की मुलाकात से कांग्रेस में हड़कंप मच गया है। कैप्टन को किसी भी तरह से BJP में जाने से रोकने की कोशिश शुरू हो गई है। इसके लिए अंबिका सोनी और कमलनाथ की ड्यूटी लगाई गई है। यह दोनों नेता कैप्टन के करीबी माने जाते हैं। सूत्रों के मुताबिक कैप्टन ने उन्हें अपने अपमान की बात याद दिलाकर कदम पीछे खींचने से इनकार कर दिया है। कैप्टन की नाराजगी दूर करने के लिए कांग्रेस हाईकमान जोर लगा रहा है।

पंजाब में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई हैं। हाईकमान को लगा कि पंजाब कांग्रेस कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ एकजुट है। अगर कैप्टन हटे तो पूरी कांग्रेस एक साथ चलेगी। ऐसा नहीं हो सका। सिद्धू अचानक चरणजीत चन्नी की नई बनी सरकार से खफा हो गए। गुस्से में उन्होंने सीधे इस्तीफा ही दे दिया। इसके बाद पंजाब कांग्रेस में बड़ा संकट हो गया है।

कैप्टन और सिद्धू ही दो चेहरे थे, जिनके जरिए कांग्रेस दमदार तरीके से 2022 में चुनावी लड़ाई लड़ सकती थी। पहले कांग्रेस ने सिद्धू के चक्कर में कैप्टन को खो दिया। अब सिद्धू भी बगावत कर चुके हैं। अगर सिद्धू नहीं मानते तो कांग्रेस किसी तरह से कैप्टन को साथ रखना चाहती है। वो चाहे सक्रिय न रहें, लेकिन मान गए तो कम से कम उनकी मुश्किलें नहीं बढ़ाएंगे।

उधर कैप्टन ने कहा कि वह फौजी हैं। कभी हार कर मैदान छोड़ना नहीं सीखा। मैं सोच रहा था, 2022 के चुनाव में जीत के बाद राजनीति छोड़ दूंगा, लेकिन अब नहीं। साफ है कि अगर कैप्टन BJP में गए या नया संगठन बनाया तो, पंजाब में मुश्किलें कांग्रेस की ही बढ़ेंगी। कलह से जूझती कांग्रेस कैप्टन को समर्थन नहीं मिलता तो वह उन्हें विरोधी भी नहीं बनने देना चाहती। माना जा रहा है कि जल्द ही इस मामले में गांधी परिवार के सदस्य भी सक्रिय हो सकते हैं।

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