राजधानी में बेतरतीब बने भवनों ने बढ़ाया खतरा, कच्ची घाटी में 8 मंजिला भवन गिरा, अन्य भवनों में भी आई दरारें, पढ़े पूरी खबर..

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हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के कच्चीघाटी इलाके में भारी बारिश के कारण आज एक आठ मंजिला भवन धराशायी हो गया। इस भवन की नींव पिछले रोज ही क्षतिग्रस्त हो गयी थी जिसके बाद बहुमंजिला भवन को खाली कर दिया गया था। आज शाम भवन जमींदोज हो गया। हालांकि किसी भी तरह के जानी नुकसान की सूचना नहीं है। 

शिमलाः  पहाड़ी खेती, समाचार, हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के कच्चीघाटी इलाके में भारी बारिश के कारण आज एक आठ मंजिला भवन धराशायी हो गया। इस भवन की नींव पिछले रोज ही क्षतिग्रस्त हो गयी थी जिसके बाद बहुमंजिला भवन को खाली कर दिया गया था। आज शाम भवन जमींदोज हो गया। हालांकि किसी भी तरह के जानी नुकसान की सूचना नहीं है। 

बहुमंजिला भवन के ढह जाने से आसपास के भवनों को भी नुकसान हुआ है। भवन में कई परिवार रहते थे, लेकिन प्रशासन ने उन्हें पहले ही सुरक्षित निकाल लिया था। आज शाम करीब पौने छह बजे अचानक दर्शन काटेज की यह इमारत ढह गईं। प्रशासन की टीमों के सामने भवन चंद मिनटों में ही मलबे के ढेर में बदल गया।

 हादसे की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची और राहत कार्य शुरू किया गया। जमींदोज हुई इस भवन के आसपास भूस्खलन होेने से कई अन्य भवन भी खतरे की जद में हैं। फिलहाल इस घटना में किसी तरह के जानी नुकसान की सूचना नहीं है। 

गौरतलब है कि राजधानी शिमला के आसपास के उपनगरों में पहाड़ों को चीर कर कई बहुमंजिला भवन बनाए गए हैं। नगर निगम या नगर नियोजन विभाग (टीसीपी) विभाग के मानकों की अनदेखी कर यहां बहुमंजिला भवनों का निर्माण कर रखा है। शहर में करीब 10 साल में कई बहुमंजिला भवन गिर चुके हैं। आज फिर शिमला की कच्ची घाटी में एक 8 मंजिला भवन धराशायी हो गया।

बता दें कि आज से पहले भी टुटू में चार, छोटा शिमला में एक, संजौली में तीन, चरौंठी में दो भवन गिर चुके हैं। राजधानी के समिट्री, टुटू के शिवनगर से लेकर कई न्यू मर्ज एरिया में सैकड़ों भवन इसी तरह से नियमों को ताक पर रख कर बने हैं।

हालांकि कहने के लिए शहर में भवन निर्माण के लिए नियम काफी सख्त हैं, इसके बावजूद लोग रात के अंधेरे या फिर स्थल को पूरी तरह से तिरपाल से कवर कर निर्माण में लगे रहते हैं।

शहर में पहले चार मंजिला भवन ही बनाने की अनुमति थी, इसके बावजूद न्यू मर्ज एरिया में कई भवन आठ से दस मंजिला बने हैं। भवनों के बीच में सैटबैक की भी पूरी व्यवस्था नहीं है। ऐसे में आपदा के समय में लोगों को निकालने तक के लिए परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

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