हिमाचल में अब अमेरिका और फ्रांस के अखरोट की भी पैदावार, जानें इसके फ़ायदे….
शिमलाः पहाड़ी खेती, समाचार, हिमाचल प्रदेश में अब विदेशी अखरोट की किस्मों की पैदावार भी होने लगी है। अखरोट की इन किस्मों को विकसित करने के लिए बागवानी विभाग ने कुछ साल पहले कवायद शुरू की थी। अब कई क्षेत्रों में विदेशी किस्मों का अखरोट पैदा हो रहा है। अमेरिका और फ्रांस से आयात की गई अखरोट की किस्मों का छिलका भी काफी नरम होता है। इसकी गुणवत्ता सामान्य अखरोट की अपेक्षा बेहतर होती है। विभाग ने समय-समय पर बागवानों को ये किस्में वितरित की थीं। इसके सकारात्मक परिणाम आने लगे हैं।
समुद्र तल से करीब 1200 से 2200 मीटर की ऊंचाई के इलाकों में अखरोट सुगमता से पैदा किया जा सकता है। कुल्लू, शिमला, कांगड़ा, मंडी, चंबा, किन्नौर और सोलन में अखरोट की पैदावार होती है, लेकिन यहां अखरोट के पेड़ दूर-दूर लगे होते हैं। अब अखरोट को प्रदेश के लोगों की आर्थिकी के साथ जोड़ने के लिए बागवानी विभाग कई विदेशी किस्में बागवानों को आवंटित कर रहा है। कई प्रगतिशील बागवानों ने इन किस्मों को अपने बगीचे में लगाया है। देश के चार राज्यों जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और अरुणाचल में अखरोट का उत्पादन होता है।
सबसे ज्यादा 90 फीसदी उत्पादन अकेले जम्मू-कश्मीर में होता है। सूबे में लगभग 1700 मीट्रिक टन अखरोट का उत्पादन होता है। उम्दा किस्म का अखरोट नहीं होने से उत्पादन भी बेहतर नहीं हो पा रहा है। सरकार और बागवानी विभाग अब बढ़िया किस्म को ईजाद करने में प्रयासरत हैं। बागवानी विभाग अमेरिका, फ्रांस की उम्दा किस्मों को बागवानों को मुहैया करवा रहा है। पिछले कुछ वर्षों से बागवानों को वितरित भी की है। इनमें चाइको, गिल्ट, फेरनोर, फोर्ड, पायने टुलारे आदि किस्में शामिल हैं।
अखरोट विभिन्न पौष्टिक तत्वों से लबरेज है। खासकर ओमेगा-3 जो दिल से संबधित रोगों के खतरे को कम करने में रामबाण है। दिमाग के विकास के लिए अखरोट का सेवन महत्वपूर्ण है। अखरोट के सेवन से कई बीमारियों से निजात मिलती है।