अर्की : संजय अवस्थी की रैली में उमड़ा जनसैलाब, इस अनोखे अंदाज में बीजेपी पर बोला हमला, पढ़े विस्तार से..

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अर्की उपचुनाव : कुनिहार में कांग्रेस प्रत्याशी संजय अवस्थी की रैली में उमड़ा जनसैलाब, “वोट देनी काँग्रेसा जो जनता पार्टी लाई लो जोर” गाने पर झूमे लोग, अर्की में हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस और बीजेपी प्रत्याशियों में कड़ी टक्कर, पढ़े विस्तार से ..

अर्की :  पहाड़ी खेती, समाचार, अर्की विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में सीधा मुकाबला संजय अवस्थी और भाजपा सरकार के बीच नजर आ रहा है। जहाँ अर्की में कांग्रेस प्रत्याशी अपने बलबूते व क्षेत्र में बनाई हुई अपनी इमेज पर उपचुनाव लड़ रहे है वहीं दूसरी तरफ बीजेपी प्रत्याशी रतन पाल के प्रचार में मुख्यमंत्री, मंत्री और केन्द्रीय मंत्री सहित बढ़चढ़ कर चुनाव प्रचार में लगे हुए है। कुनिहार में मंगलवार को संजय अवस्थी की रैली में भारी भीड़ का उमड़ना क्या कुछ और संकेद दे रहा है ?

साभार: हिमदर्शन समाचार

हालांकि ऐसा नहीं है कि सिर्फ अवस्थी की रैली में ही भारी जनसैलाब उमड़ा हो। अर्की विधानसभा क्षेत्र में हुई मुख्यमंत्री और केन्द्रीय मंत्री की रैली रैलियों में भी ऐसी भीड़ देखी गई है। लेकिन अर्की के दोनों दलों के प्रत्याशी मुकाबले में हैं।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सत्तारुढ़ दल की रैली में भीड़ जुटना कोई बड़ी बात नहीं है। क्योंकि उसका लोगों में समर्थन होता है। दूसरे, उसके पास संसाधन होते हैं तीसरे सत्ता की ताकत भी होती है। इसलिए भाजपा प्रत्याशी रतन पाल में आए मंत्रियों की रैलियों में भीड़ होना स्वभाविक है।

गौरतलब है कि हिमाचल में हो रहे इस उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों का मुकाबला बीजेपी प्रत्याशियों से ही नही बल्कि सीधा सत्ता पर काबिज़ भाजपा सरकार से है। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में गुटबाज़ी और भितरघातियों के चलते कांग्रेस दिन-प्रतिदिन खोखली होती जा रही है।

बता दें कि अर्की विधानसभा क्षेत्र में भाजपा-कांग्रेस दोनों की राह आसान नहीं, क्योंकि संजय अवस्थी को टिकट मिलने के बाद ब्लॉक कांग्रेस के पदाधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया था। जिसके चलते कांग्रेस ब्लॉक कांग्रेस का दौबारा गठन करना पड़ा। ऐसे में अर्की कांग्रेस चुनाव प्रचार के लिए बने कार्यालय में बैठे अनुभवहीन लोगों के व्यवहार व कांग्रेस से अलग हुए पदाधिकारियों के कारण संजय अवस्थी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

हिमाचल की तीन विधानसभा सीटों तथा एक लोकसभा सीट पर उपचुनाव में बीजेपी और कांग्रेस अपना दमखम दिखाने में लगी हुई है। 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इस उपचुनाव को हर पार्टी अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना कर बैठी है। हालांकि जमीनी स्तर पर राजनीतिक पार्टियों की रणनीति अलग-अलग हैं।

2022 के हिमाचल विधानसभा चुनाव को देखते हुए लोग इस उपचुनाव को अलग-अलग नजरिए से भी देख रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के लिए यह उपचुनाव सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि मौजूदा समय में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के लिए कानून व्यवस्था, महिला सुरक्षा, रोजगार, महंगाई और कार्यकर्ताओं की नाराजगी व बगावत पर उतरे नेताओं के लिहाज से सबसे चुनौतीपूर्ण समय है। प्रतिदिन बढ़ रही महंगाई और बेरोजगारी को लेकर जयराम सरकार जनता के निशाने पर है।  ऐसे मौके पर हो रहे उपचुनाव के मैदान में जनता को परखना बीजेपी के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण है। 

30 अक्तूबर को होने वाले उपचुनाव से पहले कांग्रेस ने सरकार को किसानों के नए कानून, कानून व्यवस्था और बेरोजगारी आदि मुद्दों को लेकर घेर रखा है। ऐसे में यह जानना दिलचस्प होगा कि हिमाचल में बीजेपी उपचुनाव में जीत दर्ज करने में कामयाब रहती है या फिर कांग्रेस इन उपचुनाव में बाजी मार लेगी।

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