शिमला में बेखौफ घूम रहे हैं तेंदुए, शहर और आसपास के इलाकों में तेंदुए का खौफ, नगरनिगम और वन विभाग कर रहा है लीपापोती, पढ़े विस्तार से..
शिमला में बेखौफ घूम रहे हैं तेंदुए, शहर और आसपास के इलाकों में तेंदुए का खौफ, निकम्मा नगरनिगम और वन विभाग कर रहा है लीपापोती, अगर कनलोग में अगस्त के महीने में बच्ची को तेंदुए द्वारा उठाने की घटना को वन विभाग ने गम्भीरता से लिया होता तो डाउनडेल की यह घटना नहीं होती, वैज्ञानिक तौर तरीके से वन्य प्राणियों से मानव की रक्षा के लिए तरीको को अख्तियार किया जाए। वार्ड स्तर पर कमेटियों का गठन किया जाए। लाइटों का उचित व्यवस्था को जाए। आदमखोर तेंदुए को तुरंत मारा जाए। पढ़े विस्तार से..
शिमला: पहाड़ी खेती, समाचार, शिमला नागरिक सभा ने गत दिनों शिमला के डाउनडेल व कनलोग इलाके में तेंदुए द्वारा बच्चो की जान लेने के घटनाक्रम के खिलाफ आज दुबारा मुख्य अरण्यपाल वन विभाग हिमाचल प्रदेश के शिमला स्थित कार्यालय पर शिमला नागरिक सभा ने आज जोरदार प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन में संजय चौहान, बाबू राम, अनिल ठाकुर किशोरी , सनी कुमार , सुनील सैनी , कांता, परमिला, नरेश, राजा , कृष्ण , संगीता, मीनू , मारनी, सपना, राजू , ललिता , चंद्रकांत, नागु, मंगली, उत्तम, समीर, सुमित, आशीष , पवन , आदि मौजूद रहे।
नागरिक सभा ने मांग की है कि तेंदुए को आदमखोर घोषित किया जाए। शहर के जंगल से सटे इलाकों में फेंसिंग, कैमरों व स्ट्रीट लाइटों की उचित व्यवस्था की जाए। डाउनडेल व कनलोग हादसों के पीड़ित परिवारों को कम से कम दस-दस लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जाए।
शिमला शहर के बीचों-बीच इस तरह के हादसों पर हैरानी व्यक्त की है व इसे पूर्णतः प्रदेश सरकार, नगर निगम शिमला व वन विभाग की नाकामयाबी करार दिया है। उन्होंने कहा कि डाउन डेल शहर के बीचों-बीच है। जब इस तरह की घटना यहां पर हो सकती है तो फिर शिमला शहर के इर्दगिर्द के इलाकों में नागरिकों की जानमाल की सुरक्षा की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
इस से साफ है कि शिमला नगर निगम व इसके इर्द-गिर्द के इलाके में कोई भी नागरिक सुरक्षित नहीं है। सबसे हैरानी की बात यह है कि डाउन डेल, नाभा, फागली व कनलोग जैसे शहर के रिहायशी इलाकों में तेंदुए लगातार घूम रहा है। पिछले कल नाभा में लोगो द्वारा दिन के समय देखा गया जिससे पूरे शिमला में डर का माहोल बन गया है। अभी भी बेखौफ घूम रहे हैं और वन विभाग संवेदनहीन है।
लीपापोती के सिवाए कुछ भी नहीं कर रहा है। अगर कनलोग में अगस्त के महीने में बच्ची को तेंदुए द्वारा उठाने की घटना को वन विभाग ने गम्भीरता से लिया होता तो डाउनडेल की यह घटना नहीं होती। नगर निगम भी नागरिकों की सुरक्षा के प्रति गम्भीर नहीं है। शहर के रिहायशी इलाकों में या तो स्ट्रीट लाइटें कई महीनों से खराब पड़ी हैं या फिर हैं ही नहीं। इन दोनों की लापरवाही का खामियाजा निर्दोष जनता को भुगतना पड़ रहा है।
नागरिक सभा ने कहा है कि उक्त घटनाक्रम पर प्रदेश सरकार, नगर निगम शिमला व वन विभाग की भूमिका संवेदनहीन रही है। शिमला शहर में पिछले तीन महीनों में तेंदुआ दो बच्चों की जान ले चुका है परन्तु वन विभाग तेंदुए को आदमखोर घोषित करने में आनाकानी कर रहा है। उक्त घटनाक्रम में शिमला शहर जोकि प्रदेश की राजधानी भी है, इसी से पता चलता है कि शिमला शहर जैसी जगह में भी सुरक्षा व छानबीन के न्यूनतम प्रबंध नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि कनलोग व डाउनडेल में तेंदुए के हमलों का शिकार हुए दोनों बच्चों के हादसों में एक समानता यह है कि ये घटनाक्रम गरीब बस्तियों में हुए जहां पर स्ट्रीट लाइटों व अन्य सुविधाओं का अभाव है जिसके कारण तेंदुए को ये हमले करने का मौका मिला।
इसलिए प्रदेश सरकार व नगर निगम भी ऐसे हादसों से अपना पल्ला नहीं झाड़ सकता है। वैज्ञानिक तौर तरीके से वन्य प्राणियों से मानव की रक्षा के लिए तरीको को अख्तियार किया जाए। वार्ड स्तर पर कमेटियों का गठन किया जाए। लाइटों का उचित व्यवस्था को जाए। आदमखोर तेंदुए को तुरंत मारा जाए।