सिंघु बॉर्डर पर आज नहीं होगी किसान संगठनों की बैठक, नहीं हटेंगे किसान, इन मुद्दों पर अड़े नेता, जानें कब तय होगी रणनीति…

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सिंघु बॉर्डर : पहाड़ी खेती, समाचार, आज सिंघु बॉर्डर पर आगे की रणनीति को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की सुबह 11.30 बजे बैठक होने वाली थी। लेकिन यह बैठक टल गई है। बताया जा रहा है कि ये बैठक कल यानी 21 नवंबर को होगी।

वहीं संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक कल होगी। संयुक्त किसान मोर्चा के प्रमुख नेताओं की 9 सदस्यीय कमेटी की यह बैठक सिंघु बॉर्डर पर होगी। इसमें तीनों कृषि कानून निरस्त होने के बाद अगली रणनीति पर मंथन होगा।

संयुक्त किसान मोर्चा ने पीएम मोदी के कृषि कानून निरस्त करने के ऐलान का स्वागत किया है, लेकिन यह भी कहा कि संसद में औपचारिक रूप से कानून रद्द किया जाए। MSP बनाई जाए और बिजली संसोधन बिल वापस लिया जाए। संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद 21 नवंबर को पंजाब के किसान संगठनों की बैठक होगी। इसके बाद तय होगा कि आंदोलन का अगली रणनीति क्या होगी। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि यह आंदोलन सिर्फ कृषि कानून के खिलाफ नहीं था, फसलों के लाभकारी मूल्य और वैधानिक गारंटी के लिए भी था।

‘MSP भी एक बड़ा सवाल है’

इसी बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा-MSP भी एक बड़ा सवाल है। उस पर भी क़ानून बन जाए, क्योंकि किसान जो फसल बेचता है उसे वह कम कीमत पर बेचता है, जिससे बड़ा नुक़सान होता है। अभी बातचीत करेंगे, यहां से कैसे जाएंगे। अभी बहुत से क़ानून सदन में है, उन्हें फिर ये लागू करेंगे। वहीं राकेश टिकैत ने आगे कहा था कि प्रधानमंत्री ने तीनों कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है, लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कमेटी बनाने और बिजली अमेंडमेंट समेत अन्य मुद्दों पर अभी बात होनी बाकी है।टिकैत ने बताया कि संयुक्त मोर्चा प्रधानमंत्री की घोषणा को लेकर चर्चा कर रहा है, ताकि अगली रणनीति बनाई जा सके। टिकैत ने tweet किया-आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा। हम उन दिन का इंतजार करेंगे, जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा।

‘किसानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा’

किसानों का कहना है कई महत्वपूर्ण मांगें लंबित हैं और एसकेएम को भरोसा है कि पीएम भी इस बारे में जानते हैं। इस आंदोलन में 675 से अधिक किसानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा। शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ मुकदमे वापस लेने और बीजेपी के राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग को लेकर हांसी में बड़ी संख्या में किसान एकजुट हुए।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा आईपीएस अधिकारी सुश्री पद्मजा चौहान को लखीमपुर खीरी किसान हत्याकांड की विशेष जांच टीम में शामिल करना गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि न्यायालय के हस्तक्षेप का उद्देश्य निष्पक्षता स्थापित करना था। एसकेएम को उम्मीद है कि भारत सरकार, 3 किसान विरोधी कानूनों को निरस्त करने की घोषणा कर झुकी है, वह घोषणा को बेकार नहीं जाने देगी, और विरोध कर रहे किसानों की लाभकारी एमएसपी की गारंटी के लिए वैधानिक कानून सहित सभी जायज मांगों को पूरा करने की पूरी कोशिश करेगी।

साभार: TV 9 भारतवर्ष, सोशल मीडिया नेटवर्क।

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