हिमाचल हाई कोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट को भी नहीं आया समझ, भाषा देख कर कहा- क्या ये लैटिन में है ?…..

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  • हिमाचल हाई कोर्ट की ओर से एक मामले पर दिए गए फैसले की कॉपी देख सुप्रीम कोर्ट ने जताई हैरानी।
  • कोर्ट ने फैसले को दोबारा लिखने के निर्देश देते हुए उसे वापस हिमाचल हाईकोर्ट को भेजने की बात कही।
  • जस्टिस केएम जोसेफ ने मामले में सुनवाई करते हुए ये तक कहा- क्या ये लैटिन में है?

नई दिल्ली: । पहाड़ी खेती, समाचार ( 18, जनवरी )

कोर्ट के आदेश या कानूनी बहसों में इस्तेमाल होने वाली शब्दावली और उसके मायने को समझना अक्सर आम लोगों के लिए काफी मुश्किल होता है। हालांकि अगर कोर्ट की भाषा को इस विषय के विशेषज्ञ या दूसरी कोर्ट ही न समझ पाए तो क्या कहेंगे। ऐसा ही एक मामला हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट से जुड़ा सामने आया है।

सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल हाई कोर्ट की ओर से एक मामले पर दिए आदेश को लेकर अचरज जताते हुए कहा कि उसे संभवत: फिर से इसे ठीक तरीके से लिखने के लिए वापस भेजना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने 17 जनवरी को हुई सुनवाई में आदेश को वापस हाई कोर्ट के पास भेजने और उसे फिर से लिखने के निर्देश दिए।

सुप्रीम कोर्ट ने जब कहा- ये फैसला क्या लैटिन भाषा में है?

मामले में दो जजों की पीठ की अध्यक्षता करते हुए जस्टिस केएम जोसेफ ने अपील करने वाले वकील निधेश गुप्ता से पूछा कि हाईकोर्ट क्या कहना चाहता है। जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा- हम इस फैसले को कैसे समझेंगे? क्या ये लैटिन में है?

इस पर सीनियर अधिवक्ता निधेश गुप्ता ने कहा, ‘हम एक शब्द भी नहीं समझ पा रहे हैं।’ इस पर कोर्ट ने आदेश को फिर से लिखने के लिए वापस हाई कोर्ट भेजने का निर्देश दिया। साथ ही कोर्ट ने कहा कि मामले की आगे की सुनवाई अब 24 जनवरी को की जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट में पहले भी आए हैं ऐसे मामले

यह पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने आदेश की भाषा को लेकर हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट पर नाराजगी जताई है। इससे पहले मार्च-2021 में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था। उससे पहले 2017 में भी सुप्रीम कोर्ट ने किरायेदार और मकान मालिक के बीच के एक विवाद पर हिमाचल हाई कोर्ट को फैसले को फिर से लिखने को कहा था।

उस मामले में किरायेदार की वकील रहीं एश्वर्या भाटी ने तब कोर्ट में कहा था कि उन्हें हाई कोर्ट के आदेश को समझने के लिए अंग्रेजी के एक प्रोफेसर को रखना पड़ेगा। वहीं, एक अखबार से बात करते हुए उन्होंने बताया था कि कोर्ट की ओर से दिए गए आदेश की कॉपी में से एक पन्ना तो बिना किसी फुल स्टॉप के था।

साभार: Lokmat News, सोशल मीडिया नेटवर्क।

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