“दो गज दूरी, बहुत है ज़रूरी” – प्रधानमंत्री ….
शिमलाः ( पहाड़ी खेती, समाचार ) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज ‘मन की बात’ कार्ययक्र में अपने सम्बोधन में ” दो गज दूूरी बहुत जरूरी ” का नारा दिया। उन्होंने कहा कि सड़कों पर, बाज़ारों में, मोहल्लों में, physical distancing के नियमों का पालन अभी बहुत आवश्यक है। मैं, आज उन सभी Community leaders के प्रति भी आभार प्रकट करता हूँ जो दो गज दूरी और घर से बाहर नहीं निकलने को लेकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। वाक़ई कोरोना ने इस बार भारत समेत, दुनिया-भर में त्योहारों को मनाने का स्वरुप ही बदल दिया है, रंग-रूप बदल दिए हैं। अभी पिछले दिनों ही, हमारे यहाँ भी, बिहू, बैसाखी, पुथंडू, विशू, ओड़िया New Year ऐसे अनेक त्योहार आये। हमने देखा कि लोगों ने कैसे इन त्योहारों को घर में रहकर, और बड़ी सादगी के साथ और समाज के प्रति शुभचिंतन के साथ त्योहारों को मनाया। आमतौर पर, वे इन त्योहारों को अपने दोस्तों और परिवारों के साथ पूरे उत्साह और उमंग के साथ मनाते थे। घर के बाहर निकलकर अपनी ख़ुशी साझा करते थे। लेकिन इस बार, हर किसी नें संयम बरता। लॉकडाउन के नियमों का पालन किया। हमने देखा है कि इस बार हमारे ईसाई दोस्तों ने ‘ईस्टर(Easter)’ भी घर पर ही मनाया है। अपने समाज, अपने देश के प्रति ये ज़िम्मेदारी निभाना आज की बहुत बड़ी ज़रूरत है। तभी हम कोरोना के फैलाव को रोक पाने में सफल होंगे। कोरोना जैसी वैश्विक-महामारी को परास्त कर पाएँगे|
मेरे प्यारे देशवासियों, इस वैश्विक-महामारी के संकट के बीच आपके परिवार के एक सदस्य के नाते , और आप सब भी मेरे ही परिवार-जन हैं, तब कुछ संकेत करना,कुछ सुझाव देना, यह मेरा दायित्व भी बनता है। मेरे देशवासियों से, मैं आपसे, आग्रह करूँगा – हम कतई अति-आत्मविश्वास में न फंस जाएं, हम ऐसा विचार न पाल लें कि हमारे शहर में, हमारे गाँव में, हमारी गली में, हमारे दफ़्तर में, अभी तक कोरोना पहुंचा नहीं है, इसलिए अब पहुँचने वाला नहीं है। देखिये,ऐसी ग़लती कभी मत पालना। दुनिया का अनुभव हमें बहुत कुछ कह रहा है। और, हमारे यहाँ तो बार–बार कहा जाता है – ‘सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी’| याद रखिये, हमारे पूर्वजों ने हमें इन सारे विषयों में बहुत अच्छा मार्ग-दर्शन किया है। हमारे पूर्वजों ने कहा है –
‘अग्नि: शेषम् ऋण: शेषम् ,व्याधि: शेषम् तथैवच।पुनः पुनः प्रवर्धेत,तस्मात् शेषम् न कारयेत।|
अर्थात, हल्के में लेकर छोड़ दी गयी आग, कर्ज़ और बीमारी, मौक़ा पाते ही दोबारा बढ़कर ख़तरनाक हो जाती हैं। इसलिए इनका पूरी तरह उपचार बहुत आवश्यक होता है। इसलिए अति-उत्साह में, स्थानीय-स्तर पर, कहीं पर भी कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए। इसका हमेशा–हमेशा हमने ध्यान रखना ही होगा। और, मैं फिर एक बार कहूँगा – दो गज दूरी बनाए रखिये, खुद को स्वस्थ रखिये – “दो गज दूरी, बहुत है ज़रूरी”।