चैत्र नवरात्रि 2022: 02 अप्रैल से शुरु, जानिए किस दिन कौन सा नवरात्र, कौन से मुहूर्त में करें घटस्थापना, पढ़े पूरी खबर..

चैत्र नवरात्रि 2022 : नवरात्रि का पावन त्योहार हिंदू धर्म के लोगों द्वारा बड़े ही धूम-धान से मनाया जाता है। साल में 4 बार नवरात्र आते हैं। दो नवरात्र गुप्त रूप से मनाए जाते हैं तो दो सार्वजनिक तौर पर मनाए जाते हैं। ये पर्व नौ दिनों तक चलता है। इस दौरान मां दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती है। ये पर्व हिंदू नव वर्ष की शुरुआत का भी प्रतीक होता है। नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि को कन्याओं का पूजन किये जाने की भी परंपरा है।
शिमला : पहाड़ी खेती, समाचार ( 01, अप्रैल ) जानिए किस दिन कौन सा नवरात्र पड़ रहा है और कब किया जाएगा कन्या पूजन।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त : चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाएगी। चैत्र घटस्थापना शनिवार, अप्रैल 2, 2022 को शुभ मुहूर्त – सुबह 6 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 31 मिनट तक की जाएगी। अवधि – 02 घण्टे 21 मिनट्स, घटस्थापना अभिजित मुहूर्त – 12 बजे से लेकर 12 बजकर 50 मिनट तक । प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – अप्रैल 01, 2022 को 11 बजकर 53 मिनट से शुरू। प्रतिपदा तिथि समाप्त – अप्रैल 02, 2022 को 11 बजकर 58 मिनट तक
घटस्थापना कैसे करें-
1. नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. मंदिर की साफ-सफाई कर गंगा जल से शुद्ध करके पुष्प से मंदिर सजाए। फिर पूजा में सभी देवी -देवताओं को आमंत्रित करें। घटस्थापना करने से पहले भगवान गणेश की आराधना करें।
3. अब मंदिर के नजदीक ही एक बजोट पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं।
4. अब उसके मध्य अक्षत की एक ढेरी बनाए। ढेरी के उपर जल से भरा कलश स्थापित करें।
5. कलश पर स्वास्तिक बनाकर मोली बांधें। कलश में साबुत, सुपारी, सिक्का, हल्दी की गांठ, दूर्वा, अक्षत और आम का पत्ते डालें।
6. एक नारियल लें कर उस पर चुनरी लपेटें और इसे कलश के ऊपर रख दें।
7. अब देवी मां का आवाहन करें। धूप-दीप से कलश की पूजा करें और फिर मां दुर्गा की पूजा करें। मां को भोग लगाए। पूरे परिवार के साथ सुख समृद्धि की कामना करे।

प्रथम दिन से लेकर अष्टमी तक पूरी लिस्ट देखें
पहला दिन – मां शैलपुत्री : नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री का पूजन किया जाता है। ये मां दुर्गा का प्रथम स्वरूप हैं। ये राजा हिमालय (शैल) की पुत्री हैं इसी कारण ये शैलपुत्री कहलाती हैं। ये वृषभ (बैल) पर विराजती हैं।
दूसरा दिन- मां ब्रह्मचारिणी : नवरात्रि के दूसरे दिन माता भगवती के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि इन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तप किया था। इनकी उपासना से यश और सिद्धि की प्राप्ति होती है।
तीसरा दिन – चंद्रघण्टा देवी : नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का पूजन होता है। ये मां दुर्गा की तृतीय शक्ति हैं। इनमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्तियां समाहित हैं।इनके मस्तक पर अर्द्ध चंद्र सुशोभित हैं, इसी कारण ये चंद्रघंटा कहलाती हैं। इनके घंटे की ध्वनि से सभी नकारात्मक शक्तियां दूर भाग जाती हैं।
चौथा दिन – कूष्मांडा माता : नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप कूष्मांडा की पूजा का विधान है। इनकी मंद हंसी से ही ब्रह्मांड का निर्माण होने के कारण इनका नाम कूष्मांडा पड़ा। मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, वे इनमें धनुष, बाण, कमल, अमृत, चक्र, गदा और कमण्डल धारण करती हैं।मां के आंठवे हाथ में माला सुशोभित रहती है।
पांचवां दिन – स्कंदमाता : नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के पंचम स्वरुप स्कंदमाता का पूजन किया जाता है। ये अपनी गोद में कुमार कार्तिकेय को लिए हुए हैं और कार्तिकेय का एक नाम स्कंद है, इसी कारण ये स्कंद माता कहलाती हैं। ये कमल के आसन पर विराजती हैं और इनका वाहन सिंह है।
छठा दिन – कात्यायनी माता : नवरात्रि में छठे दिन मां दुर्गा के षष्ठम स्वरूप मां कात्यायनी की आराधना की जाती है।इनकी चार भुजाएं हैं, दाहिनी तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयु मुद्रा में रहता है तो वहीं नीचे वाला हाथ वरमुद्रा में है।बाई ओर के ऊपर वाले हाथ में मां तलवार धारण करती हैं तो वहीं नीचे वाले हाथ में कमल सुशोभित है। मां कात्यायनी का वाहन सिंह है।
सातवां दिन- कालरात्रि माता : मां दुर्गा के सप्तम स्वरुप को कालरात्री कहा जाता है, नवरात्रि में सप्तमी तिथि को इन्हीं की पूजा अर्चना की जाती है। इनका स्वरुप देखने में प्रचंड है लेकिन ये अपने भक्तों के सदैव शुभ फल प्रदान करती हैं। इसलिए इन्हें शुभड्करी भी कहा जाता है।
आठवां दिन – महागौरी माता : नवरात्रि के आठवें दिन देवी महागौरी की पूजा की जाती है। ये श्वेत वस्त्र और आभूषण धारण करती हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। दाहिनी और का ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में रहता है तो वहीं नीचे वाले हाथ में मां त्रिशूल धारण करती हैं। बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरु रहता है तो नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में रहता है।
नौवां दिन – सिद्धिदात्री माता : नवरात्रि में नवमी तिथि यानी अंतिम दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरुप मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। इनके नाम से ही पता चलता है सिद्धियों को प्रदान करने वाली। इनकी पूजा से भक्त को सिद्धियों की प्राप्ति होती है। इस दिन हवन के बाद कन्या पूजन किया जाता है।
साभार: सोशल मीडिया नेटवर्क।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। पहाड़ी खेती, समाचार , इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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