हिमाचल प्रदेश: DNA डाटाबेस तैयार करने वाला पहला राज्य बनेगा, पढ़ें पूरी खबर…..

शिमला : पहाड़ी खेती, समाचार ( 20, अप्रैल ) डीएनए यानी डीआक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड का डाटाबेस तैयार करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य बनेगा। प्रदेश के फारेंसिक सेवा निदेशालय ने यह दावा किया है।
फारेंसिक लैब जुन्गा (शिमला) में डाटाबेस बनाने का काम शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस काम के लिए 55 लाख रुपये का प्रविधान किया है। इस तकनीक में डीएनए प्रोफाइल डाटाबेसिंग और मिलान तकनीक (यूएसए से स्मालपांड साफ्टवेयर) शामिल हैं। इसमें डीएनए प्रोफाइल जानकारी के निजी, स्थानीय डाटाबेस को आसानी से बनाने और बनाए रखने की आसानी होगी। यह डाटाबेस वर्तमान में लगभग 20 हजार प्रोफाइल का तैयार किया जा रहा है।
फारेंसिक सेवा निदेशालय के निदेशक राकेश शर्मा ने बताया कि प्रदेश सरकार फारेंसिक जांच के क्षेत्र में नवीनतम तकनीक लाने के लिए काम कर रही है। डीएनए डाटाबेसिंग साफ्टवेयर का अधिग्रहण उनमें से एक है। बुनियादी ढांचे में कई बदलाव हाल ही में किए गए हैं। प्रदेश में जिला फारेंसिक इकाई के निर्माण के अलावा, कांगड़ा के नूरपुर और बद्दी में भवन निर्माण शुरू किया गया है। जुन्गा में एक सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक लगभग तैयार है। इसमें नवीनतम डीएनए फारेंसिक लैब, डीएनए डाटाबेसिंग, अत्याधुनिक डिजिटल फारेंसिक लैब की सुविधा मिलेगी। वहीं, सहायक निदेशक डा. विवेक सहजपाल ने बताया कि निदेशालय में डीएनए सुविधा अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है। इसके बनने के बाद राज्य में ही नहीं देशभर के लापता लोगों के बारे में जानकारी हासिल करने में मदद मिलेगी।
क्या होगा लाभ
देश-प्रदेश में हर साल हजारों लोग लापता हो जाते हैं, इनमें से कईयों की मौत भी हो जाती है। निर्धारित समय तक उनके स्वजन नहीं मिलने पर पुलिस अंतिम संस्कार कर देती है। अब ऐसा होगा कि मृतकों के डीएनए प्रोफाइल बना ली जाएगी। यदि किसी का स्वजन बाद में दावा करता है तो उनका डीएनए मिलान कर इसकी पुष्टि की जाएगी। इसके अलावा अपराधियों की भी डीएनए प्रोफाइल बनाई जाएगी। दूसरा अपराध करने पर इनकी क्राइम हिस्ट्री पता करने में आसानी होगी।
साभार: जागरण, सोशल मीडिया नेटवर्क।

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