‘एयर नेविगेशन सिस्टम’ के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि: नई तकनीक से विमान को लैंड करने वाला – भारत एशिया-प्रशांत का पहला देश….

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नई दिल्ली : पहाड़ी खेती, समाचार ( 30, अप्रैल ) भारत ने एयर नेविगेशन सिस्टम के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिलकी है। गुरुवार को इंडिगो ने भारत में निर्मित सैटेलाइट आधारित ऑग्युमेंटेड सिस्टम ‘गगन’ (जीपीएस एडेड जीईओ ऑग्युमेंटेड नेविगेशन ) की मदद से राजस्थान के किशनगढ़ एयरपोर्ट पर ट्रायल उड़ान को सफलतापूर्वक लैंड करा दिया।

भारत के अलावा यह तकनीक केवल यूएस, यूरोप और जापान में इस्तेमाल हुई है। इस सिस्टम का निर्माण भारतीय अतंरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) व एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) ने संयुक्त रूप से किया है। इसका परीक्षण इंडिगो के एटीआर-72 एयरक्राफ्ट पर किया गया है।इंडिगो के निदेशक व सीईओ रॉनजॉय दत्ता ने कहा कि ‘गगन’ नागरिक उड्डयन के लिए गेम चेंजर साबित होगा। उन्होंने कहा कि इससे हवाई यात्रा का आधुनिकीकरण होगा।

क्या है नई तकनीक का फायदा और कैसे मिलेगी मदद

इस सिस्टम को डीजीसीए ने 2015 में अप्रोच विद वर्टिकल गाइडेंस (एपीवी-1) और एन-रूट (आरएनपी 0.1) परिचालन के लिए अनुमति दी थी। लोकलाइजर परफॉर्मेंस विद वर्टिकल गाइडेंस (एलपीवी) हवाईजहाज को बगैर किसी जमीन आधारित नेविगेशन इंफ्रास्ट्रक्चर के लैंड करने में मदद करता है। यह सेवा जीपीएस और ‘गगन’ जिओ स्टेशनरी सैटेलाइट्स पर निर्भर करती है। ‘गगन’ नेविगेशन की मदद से एयरक्राफ्ट को उतरने के लिए लेटरल और वर्टिकल निर्देश देगा। जैसे ही इस तकनीक को अंतिम अनुमति मिल जाएगी इसे देश की सभी कमर्शियल एयरलाइंस में इस्तेमाल के लिए उपलब्ध करा दिया जाएगा। इससे उड़ानों को उन एयरपोर्ट्स पर उतरने में आसानी होगी जहां महंगी लैंडिंग प्रणाली मौजूद नहीं है। साथ ही ऐसा माना जा रहा है कि यह उड़ानों में देरी की समस्या को कम करेगा और ईंधन की बचत भी बढ़ाएगा।

डीजीसीए का आदेश

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने पिछले साल जुलाई में देश में सभी पंजीकृत विमानों को ‘गगन’ सिस्टम से लैस होने का आदेश दिया था। बयान में कहा गया था कि यह तकनीक छोटे हवाईअड्डों पर उपयोगी साबित होगी। गौरतलब है कि इंडिगो की ट्रायल उड़ान में भी डीजीसीए के अधिकारी बैठे थे।

एएआई ने मछुआरों के लिए भी विकसित की तकनीक

एएआई ने इंडियन नेशनल सेंटर फोर ओशिएनिक इंफॉर्मेशन सर्विस के साथ मिलकर ‘गगन’ मैसेज सर्विस भी लॉन्च की है। इसके जरिए मछुआरों व आपदा प्रभावित लोगों को बाढ़ और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा के समय अलर्ट मैसेज भेजा जाएगा।

साभार: एजेंसियां, News 18,सोशल मीडिया नेटवर्क।

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