दुःखद खबर: नहीं रहे हिमाचल की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले पंडित सुखराम, 95 साल की उम्र में निधन, नरसिम्हा राव की सरकार में थे दूरसंचार मंत्री, कैसा रहा राजनीतिक करियर ! – पढ़े पूरी ख़बर..

Spread the love

हिमाचल की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले पंडित सुखराम का निधन हो गया है । ” उनके पोते आश्रय शर्मा ने सोशल मीडिया में पोस्ट किया है ” अलविदा दादा जी , अब नहीं बजेगी फ़ोन की घंटी ”। उन्होंने अपनी बचपन की उनके साथ एक फोटो भी शेयर की है । 95 वर्ष के पंडित सुखराम दिल्ली के एम्स में भर्ती थे । ब्रेन स्ट्रोक की वजह से गंभीर हालत में दिल्ली एम्स में भर्ती पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम को सोमवार सुबह दिल का दौरा भी पड़ा था और डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया था । उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी, पढ़े पूरी खबर..

शिमला/नई दिल्ली : पहाड़ी खेती, समाचार ( 11, मई ) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम का 95 साल की उम्र में निधन हो गया है। वह नई दिल्ली के AIIMS (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) में भर्ती थे। जहां उनका ब्रेन स्ट्रोक का इलाज चल रहा था।

हिमाचल कांग्रेस की तरफ से ट्वीट किया गया है, ‘पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम जी के निधन की खबर बेहद दुखद है, ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे और शोकाकुल परिवार को इस असहनीय दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी शोक संत्पत परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करती है।’ लोग सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं।

सुखराम 90 के दशक में कांग्रेस सरकार में केंद्रीय मंत्री थे। वह हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट से तीन बार सांसद रहे हैं। साथ ही पांच बार विधानसभा चुनाव जीते हैं। उन्हें यहां पंडित सुखराम के नाम से जाना जाता है। हालांकि उनका नाम टेलीकॉम घोटाले में आया था, जिसके बाद से लोगों का उनके प्रति प्रेम थोड़ा कम हुआ था। ये वो घोटाला था, जिसकी आज भी चर्चा होती है। पंडित सुखराम उस वक्त 1996 में पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार में दूरसंचार मंत्री थे। इस दौरान उनपर घोटाले के बड़े आरोप लगे थे। मामले में जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपना पड़ा था।

कैसा रहा राजनीतिक करियर

उनके राजनीतिक करियर की बात करें, तो इसकी शुरुआत उन्होंने मंडी से की थी। वह 1963 से 1984 तक विधायक चुने गए थे। फिर उन्होंने 1984 में मंडी सीट से ही लोकसभा चुनाव जीता था। इसके बाद वो राज्य मंत्री बनाए गए। फिर 1991 में दूरसंचार विभाग का स्वतंत्र प्रभार संभाला। वह 1996 में दोबारा मंडी सीट से जीतकर मंत्री बने थे। लेकिन फिर घोटाले में नाम आने के चलते उन्हें कांग्रेस से निकाल दिया गया। उसके बाद उन्होंने 1997 में हिमाचल विकास कांग्रेस बनाई। साथ ही 1998 में बीजेपी के साथ गठबंधन किया था।

You may have missed