हिमाचल पेपर लीक: पुलिस अफसरों पर दलालों से मिलीभगत के आरोप, आईजी जेपी सिंह पर गिरी गाज….

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शिमला : पहाड़ी खेती, समाचार ( 12, मई ) हिमाचल प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल भर्ती की लिखित परीक्षा के पेपर, परीक्षा से पहले ही लीक हो गये। यह पेपर सात से आठ लाख रुपये तक में बिके। पुलिस महकमे के कुछ अफसरों व उनके दलालों की मिलीभगत से करोड़ों रुपये का खेल खेला गया।

लेकिन जब मामले का खुलासा हुआ तो सारा मामला जगजाहिर हो गया। इस मामले में अब तक पुलिस जांच ही कर रही थी कि एक आरोपी के खुलासे के बाद संदेह के दायरे में कई आला अफसर आ गये जिससे मामला और भी पेचीदा हो गया है।

पुलिस मुख्यालय तक पहुंची जांच
मामले में चल रही जांच की आंच प्रदेश पुलिस मुख्यालय तक पहुंच गई है। इस मामले में अब तक दर्जन भर गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। और जांच उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड तक हो रही है। वहीं कई और लोगों के गिरफ्तार होने की संभावना जताई जा रही है। लेकिन अब इस मामले में एक आईजी पर भी गाज गिरी है। और खुद जांच करने वाले ही मामले में फंसते नजर आ रहे हैं। जिससे पुलिस महकमे में हड़कंप मचा है।

आईजी को हटाकर मामले की लीपापोती!
दरअसल , पिछले कुछ दिनों से इस मामले की जांच चल रही थी। जिसको लेकर सवाल उठ रहे थे। इस बीच मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय के दखल के बाद प्रदेश सरकार हरकत में आई और प्रदेश सरकार ने एक पुलिस अफसर को उनके पद से हटाकर तबादला कर दिया है।

आदेशों के तहत सिविल सर्विसेज बोर्ड की सिफारिश पर राज्यपाल ने आईजी आर्म्ड पुलिस एंड ट्रेनिंग भर्ती के चेयरमैन रहे जेपी सिंह को पद से हटाकर आईजी पीएटी एंड आर (आर्म्ड पुलिस एंड ट्रेनिंग रिसर्च) के पद पर नियुक्ति दी है। 27 मार्च को हुई कांस्टेबल भर्ती की परीक्षा करवाने का जिम्मा जेपी सिंह पर था। अब उनकी जिम्मेदारी का अतिरिक्त कार्यभार आईपीएस अफसर अभिषेक त्रिवेदी को दे दिया गया है।

आरोप लगाया जा रहा है कि सब कुछ प्रदेश सरकार के संरक्षण में हुआ है और जब सारा खेल सरकार के हाथ से बाहर चला गया तो पेपर रद्द करने का नाटक रचा गया। हर बार की तरह इस बार भी मामले को दबाने के लिए एसआईटी का गठन किया गया ताकि दोबारा पर्चा होते ही मामला ठंडा पड़ जाए। लेकिन जांच आगे बढी तो मामला उल्ट पड गया । अब पुलिस महकमें के ही बडे अफसर संदेह के दायरे में आ गये हैं।

पेपर लीक केस में हुई13 लोगों की गिरफ्तारी
हिमाचल प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में अब तक पकड़े गए 13 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है। आरोपी संजय कुमार को पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। आरोपी संजय कुमार को 13 मई को दोबारा कोर्ट में पेश किया जाएगा। पेपर लीक मामले में अभी तक पुलिस ने 15 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस पक्ष की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने आरोपी मुनीश कुमार (21), मनी चौधरी (21), गौरव (23), अशोक कुमार (44), सुनील कुमार (40), रमित (21), पवन कुमार (48), विशाल (19), नितेश कुमार (20), विशाल (23), विजय किशोर उर्फ अरुण (47) को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा है। अब इन्हें दोबारा 24 मई को कोर्ट में पेश किया जाएगा। इसके अलावा चार अन्य आरोपियों को 13 मई को कोर्ट में पेश किया जाएगा।

नेता प्रतिपक्ष ने मांगा सीएम से इस्तीफा
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्रिहोत्री ने कहा कि गृह मंत्रालय मुख्यमंत्री के पास है और दो बार पुलिस भर्ती लीक हुई है। ऐसे में मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए। यह राजनीतिक बेइमानी की पराकाष्ठा है।

उन्होंने कहा कि जयराम सरकार ने इस मामले को दबाने की पूरी कोशिश की और मामला उजागर होता देख रिजल्ट निकालने की जल्दबाजी की और पूरी धांधली का पटाक्षेप होते ही पेपर रद्द कर एसआईटी का ड्रामा रच दिया गया। मुकेश अग्निहोत्री ने सवाल किया कि वह कौन अधिकारी रहे हैं जिन पर प्रश्न पत्रों को छपवाने और गोपनीय तरीके से परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाने का जिम्मा था? उन पर क्या कार्रवाई हुई है? किसने 8 लाख रुपए का दाम तय किया?

उन्होंने कहा कि अब तक प्रदेश सरकार ने जितनी भी भर्तियां शुरू की हैं सब की सब विवादित या सवालों के घेरे में रही हैं। चहेतों को लाभ देने के लिए बैक डोर एंट्री की जा रही है। सवाल उठ रहा है कि पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले का असली गुनहगार कौन है? क्या वो पुलिस विभाग में बैठा व्यक्ति है या सत्ता में बैठा सौदागर या मठाधीश है? किसने इस भर्ती में पेपर देने वाले प्रदेश के 74 हजार युवाओं के सपनों को तोड़ा है?

साभार: oneindia.com, सोशल मीडिया नेटवर्क।

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