शिमला ‘कालीबाड़ी’ के 200 साल पूरे होने के जश्न में गौड़ीय नृत्य शैली की शानदार प्रस्तुति…..

शिमला: पहाड़ी खेती, समाचार (16,अप्रैल ) हाल ही में शिमला कालीबाड़ी( स्वायत्त संगठन ), हिमाचल प्रदेश, शिमला ने 15 अप्रैल 2023 को शिमला कालीबाड़ी के 200 साल पूरे होने का जश्न मनाया। इस दौरान महुआ मुखर्जी द्वारा गौड़ीय नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी गई ।

आप को बताते चलें कि गौड़ीय नृत्य उन भारतीय शास्त्रीय नृत्य रूपों में से एक है, जिसमें नाटक, कविता, संगीत और शास्त्र जैसी हर चीज का गहरा इतिहास है। यह भारतीय नृत्य शैली एक बंगाली शास्त्रीय नृत्य शैली है।

यह भारतीय नृत्य रूप एक शास्त्रीय बंगाली नृत्य शैली है जो कि गौड़ा से उत्पन्न हुई है, जिसे बंगाल में गौड़ (बंगाल की राजधानी) के रूप में भी जाना जाता है। इस भारतीय नृत्य शैली को संस्कृति मंत्रालय द्वारा भारतीय शास्त्रीय नृत्य के रूप में मान्यता दी गई है और यह 1996 से जूनियर छात्रवृत्ति और 1997 से वरिष्ठ छात्रवृत्ति और फेलोशिप के लिए भी पात्र है।

गौड़ीय नृत्य शैली समय की रेत में न जाने कहां खो सी गई थी। एक व्यक्ति ने 53 वर्षों तक कड़ी मेहनत की, शास्त्रों का अध्ययन किया, प्राचीन मंदिरों की नक्काशी का अध्ययन करने के लिए दूर-दराज के स्थानों की यात्रा की। उन्होंने दृढ़ता दिखाई, अपना सब कुछ झोंक दिया और अपना जीवन इस कला के लिए समर्पित कर दिया।

महुआ मुखर्जी एक प्रतिपादक, अग्रणी शोधकर्ता हैं जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय नृत्य रूप गौड़ीय नृत्य को पुनर्जीवित किया है। वह नृत्य विभाग की वरिष्ठ प्रोफेसर और रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय के ललित कला संकाय की पूर्व डीन हैं। अपने पति अमिताभ मुखर्जी के साथ, वह 1980 के दशक से अपने करियर के माध्यम से विलुप्त होती नृत्य शैली को पुनर्जीवित कर रही हैं। उन्होंने अमेरिका के ओक्लाहोमा विश्वविद्यालय में फुलब्राइट विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में प्रदर्शन और व्याख्यान भी दिए हैं। उन्होंने दो साल तक ढाका विश्वविद्यालय में टैगोर चेयर प्रोफेसर के रूप में भी काम किया है।

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