सावधान! Fake News परोसी तो अब खैर नहीं, राज्य सरकार ने गठित किया विशेष निगरानी प्रकोष्ठ….

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वेबसाइट, न्यूज पोर्टल और सोशल मीडिया पर सबसे पहले न्यूज देने की होड़ में लोग मनगढ़ंत और सनसनीखेज खुलासे करने लगे हैं। इसे प्रचारित, प्रसारित करने वालों की संख्या भी कम नहीं है। यदि किसी खबर को बिना जांच-पड़ताल और पुष्टि किये आप भी प्रकाशित, प्रचारित करते हैं तो जेल की हवा खानी पड़ सकती है। “पहाड़ी खेती” मीडिया आपसे गुजारिश करता है कि कोरोना वायरस के चलते हर खबर को प्रकाशित अथवा सोशल मीडिया में शेयर करने से पहले खबर की सत्यता की पुष्टि कर लें, सतर्क रहें, सुरक्षित रहें।

शिमलाः ( पहाड़ी खेती, समाचार ) राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि राज्य सरकार ने कोरोना वायरस से संबंधित फर्जी समाचारों के प्रसार की जांच के लिए ‘फेक न्यूज माॅनिटरिंग यूनिट’ का गठन किया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत इसके बचाव संबंधी उपाय किए जा रहे है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार विशेष रूप से हम प्रिंट, इलेक्ट्रोनिक ओर सोशल मिडिया से अपेक्षा करते हैं कि वे जिम्मेदारी की भावना बनाए रखें। डर का माहौल पैदा करने वाले अप्रमाणिक समाचार प्रसारित न करें। लोगों के संदेह को दूर करने के लिए सोशल मीडिया और अन्य मंचों सहित सभी मीडिया के माध्यम से भारत सरकार द्वारा  दैनिक बुलेटिन भारत के महाधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत किए जाने के 24 घंटों के भीतर सक्रिय किया जाएगा। हम इस महामारी के बारे में खुली चर्चा में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते। मीडिया को विभिन्न जानकारियों को आधिकारिक विवरण से प्रकाशित करना चाहिए।

प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी मीडिया को सलाह दी है कि कोविड-19 को लेकर सही समाचारों का प्रसार सुनिश्चित करे।

फेक न्यूज माॅनिटरिंग यूनिट प्रिंट, इलेक्ट्रोनिक और डिजिटल, सोशल मीडिया में कोरोना वायरस से संबंधित झूठे और गलत समाचारों के प्रसार पर निगरानी रखे इसके अतिरिक्त कोरोना वायरस से संबंधित सूचना को मिडिया के साथ सांझा करे। यूनिट संबंधित अधिकारियों, एजेंसियों को कानून के प्रावधान के अनुसार सुधारात्मक उपायों और उचित कार्रवाई के लिए सिफारिश करेगी। प्रवक्ता ने कहा कि फेक न्यूज माॅनिटरिंग यूनिट तत्काल प्रभाव से कार्य करना शुरू कर देगी।

निदेशक, सूचना एवं जन संपर्क, हरबंस सिंह ब्रसकोन फेक न्यूज माॅनिटरिंग यूनिट के अध्यक्ष होंगे, जबकि एस.पी. साईबर क्राईम संदीप धवाल, संयुक्त निदेशक स्वास्थ्य विनोद शर्मा, संयुक्त निदेशक आईटी अनिल सेमवाल, संयुक्त निदेशक सूचना एवं जन संपर्क प्रदीप कंवर, संयुक्त निदेशक सूचना एवं जन संपर्क महेश पठानिया, उप निदेशक सूचना एवं जन संपर्क धर्मेंद्र ठाकुर, उप निदेशक (तकनीकी) सूचना एवं जन संपर्क यू.सी. कौंडल और प्रबंधक आईटी हिमाचल प्रदेश सचिवालय किशोर शर्मा सदस्य होंगे।

उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के प्रावधान के अनुसार सभी सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्मों को अपने उपयोगकर्ताओं को होस्ट करने, प्रदर्शित करने, अपलोड करने, संशोधित करने, प्रकाशित करने, प्रसारित करने, अपडेट करने या सांझा करने के लिए सूचित करने की आवश्यकता है, जो सार्वजनिक आदेशों को प्रभावित कर सकते हैं और गैर कानूनी हो सकते हैं।

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