हिमाचल: भूपेश बघेल, सचिन पायलट और बाजवा की नियुक्ति बनाएगी नए समीकरण, फायदे के साथ नुकसान की भी आशंका….

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शिमला: पहाड़ी खेती, समाचार( 13, जुलाई ) कांग्रेस हाईकमान ने हिमाचल विधानसभा चुनाव के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को वरिष्ठ पर्यवेक्षक, राजस्थान के सचिन पायलट और पंजाब के नेता प्रतिपक्ष पंजाब प्रताप सिंह बाजवा को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है।

राजनीतिक विशेषज्ञ इनकी तैनाती को सोची-समझी रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं। प्रदेश में कोई करीबी नेता न होने के कारण इनके निर्णय और रिपोर्ट निष्पक्ष रहेगी।

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के दौरान भूपेश बघेल के साथ टीएस सिंह देव मुख्यमंत्री की दौड़ में थे। टीएस सिंह देव विधायक आशा कुमारी के भाई हैं। प्रताप सिंह बाजवा पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के विरोधी रहे हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के रिश्तेदार हैं। ऐसे में यहां कई नए समीकरण बनते और बिगड़ते दिख सकते हैं।

उत्तराखंड से ली सीख

हिमाचल प्रदेश में हर पांच साल में सत्ता पलटने की परिपाटी को देखते हुए कांग्रेस राज्य में इस बार अपनी सत्ता की संभावनाएं प्रबल मान रही है। मगर पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के हाल के चुनाव में जिस तरह यह परिपाटी टूटी है, उसे देखते हुए कांग्रेस हिमाचल प्रदेश में किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहती। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जैसे वरिष्ठ नेता को वरिष्ठ पर्यवेक्षक के रूप में प्रदेश की चुनावी रणनीति के तहत मैदान में उतारकर पार्टी नेतृत्व ने यही संदेश देने की कोशिश की है। राजस्थान में कांग्रेस की सियासत में गहलोत के प्रतिद्वंद्वी माने जाने वाले सचिन पायलट को भी साधे रखने की रणनीति के तहत पार्टी हाईकमान ने उन्हें बघेल के साथ पर्यवेक्षक बनाया है।

कुल्लू में कांग्रेस हुई मजबूत

विधानसभा चुनाव से पहले अब तक पूरी तरह से बंटी दिख रही कांग्रेस ने मंगलवार को भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष खीमी राम को पार्टी में शामिल कर लिया। भाजपा लोकसभा उपचुनाव में कुल्लू जिले में कमजोर रही थी, अब खीमी राम के आने से कांग्रेस जिले में खुद को और मजबूत मान रही है। अब कांग्रेस पूरी तरह से चुनावी मोड में दिखने लगी है।

साभार: एजेंसियां, जागरण, सोशल मीडिया नेटवर्क।

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