हिमाचल हाईकोर्ट: गलत जानकारी देने पर प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग को 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया, पढ़ें पूरी खबर…..

शिमला : पहाड़ी खेती, समाचार( 07, अगस्त ) हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने आयुर्वेद विभाग में फार्मासिस्ट के चयन के मामले में न्यायालय की उचित सहायता नहीं करने पर प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने यह आदेश कुलविंदर सिंह की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया।
मामले के अनुसार प्रार्थी को आयोग की ओर से भूमिहीन होने का एक अंक नहीं दिया था, जिस कारण उसे कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। आयोग का कहना था कि प्रार्थी ने भूमिहीन होने का प्रमाणपत्र समय पर पेश ही नहीं किया।आयोग का यह भी कहना था कि प्रार्थी को एक हेक्टेयर से कम भूमि बाबत सक्षम राजस्व प्राधिकारी की ओर से प्रमाणपत्र जारी नहीं किया था।
याचिकाकर्ता ने 23 सितंबर, 2017 को अंकों के मूल्यांकन के लिए प्रमाणपत्र पेश किया और पटवारी की ओर से जारी भूमिहीन प्रमाणपत्र, तहसीलदार अंब (जिला ऊना) की ओर से प्रतिहस्ताक्षरित प्रस्तुत किया, जबकि इसे तहसीलदार की ओर से जारी किया जाना चाहिए था। इस कारण मूल्यांकन टीम ने प्रमाणपत्र पर विचार नहीं किया। इसके अलावा प्रमाणपत्र में यह भी उल्लेख नहीं था कि आवेदक के परिवार के पास किसी अन्य स्थान पर कोई अन्य भूमि नहीं है।
याचिकाकर्ता का कहना था कि उसने इसे समय पर आयोग के कार्यालय में जमा करवा दिया। अदालत ने मामले का रिकार्ड तलब किया और पाया कि याचिकाकर्ता ने समय पर प्रमाणपत्र जमा कर दिया था।
इस तरह पक्ष रखना पीड़ा देता है :
कोर्टकोर्ट ने आयोग को फटकार लगाई कि सबसे पहले आयोग ने प्रमाणपत्र प्राप्त होने से इन्कार किया और जब यह साबित हो गया कि प्रमाणपत्र आयोग को प्राप्त हो गया था तब आयोग ने अदालत में एक अलग दलील दी कि तहसीलदार अम्ब द्वारा जारी किए प्रमाणपत्र में कहीं भी यह उल्लेख नहीं किया गया है कि याचिकाकर्ता परिवार की भूमि एक हेक्टेयर से कम थी।
कोर्ट ने कहा कि जिस तरीके से आयोग ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा है वह वास्तव में अदालत को पीड़ा देता है। कोर्ट ने आयोग पर अदालत को गुमराह करने की कोशिश करने पर जुर्माना लगाया।
साभार: एजेंसियां, जागरण, सोशल मीडिया नेटवर्क।

About The Author
