शिमला: भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा शीतोष्ण फलों के पौधे वितरण एवं किसानों बागवानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया……

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शिमला :  पहाड़ी खेती, समाचार ( 18, जनवरी )

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान क्षेत्रीय केंद्र शिमला के बागवानी अनुसंधान फॉर्म ढांडा (टुटू) शिमला पर शीतोष्ण फलों के पौधे वितरण एवं किसानों बागवानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की गई।

कार्यक्रम का शुभारंभ माननीय मुख्य अतिथि घनश्याम चंद निदेशक ( प्रारंभिक शिक्षा ) हिमाचल प्रदेश द्वारा इस केंद्र के अध्यक्ष डॉक्टर धर्मपाल, डॉ कलोल कुमार प्रमाणिक (प्रधान वैज्ञानिक) एवं ढांडा फार्म प्रभारी डॉ अरुण कुमार शुक्ला प्रधान वैज्ञानिक डॉ मधु पटियाल वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ संतोष वाटपाड़े वैज्ञानिक एवं विशिष्ट अतिथि दीवान चंदेल उपनिदेशक (प्रारंभिक शिक्षा) हिमाचल प्रदेश की मौजूदगी में किया गया।

विशिष्ट अतिथि दीवान चंदेल ने भी किसानों को इस केंद्र पर चल रहे शोध कार्यों से यथासंभव लाभ उठाने की बात कही।

सर्वप्रथम इस केंद्र के अध्यक्ष डॉ धर्मपाल प्रधान वैज्ञानिक द्वारा मुख्य अतिथि का स्वागत अभिभाषण द्वारा अभिवादन किया गया तथा गेहूं एवं जौं पर चल रहे अनुसंधान कार्यों की जानकारी प्रदान की गई। इसके बाद मुख्य अतिथि घनश्याम चंद ने इस केंद्र पर चल रहे शोध कार्यों की प्रशंसा की तथा इसके प्रचार-प्रसार पर जोर देने की बात कही ताकि किसानों तक इसका भरपूर लाभ मिल सके।

डॉ आर के पुरथी निदेशक (बागवानी) हिमाचल प्रदेश तथा डॉ देशराज शर्मा संयुक्त निदेशक (बागवानी) की उपस्थिति ने इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएं। निदेशक बागवानी तथा संयुक्त निदेशक बागवानी ने संस्थान के वैज्ञानिकों के साथ सार्थक चर्चा की तथा संस्थान में चल रहे शोध कार्यों को सराहा।

इस केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ कलोल कुमार प्रमाणिक द्वारा शीतोष्ण फलों के पौधे कैसे तैयार किए जाते हैं। कैसे उनको लगाना चाहिए , कैसे उनकी कांट करनी चाहिए तथा कैसे गुणवत्ता वाले फल तैयार किए जाते हैं इसके बारे में किसानों को विस्तृत जानकारी दी।

फॉर्म प्रभारी डॉ अरुण कुमार शुक्ला द्वारा भी शीतोष्ण फलों की नर्सरी तैयार करना उसका प्रबंधन करना पौधों को लगाने के तरीके उनकी देखभाल करने संबंधी अपने अनुभवों को किसानों के बीच साझा किया ।

डॉक्टर संतोष वाटपाड़े वैज्ञानिक द्वारा शीतोष्ण फलों के बगीचों में आने वाली बीमारियों के बारे में किसानों को अवगत करवाया गया तथा इनकी रोकथाम कैसे की जा सकती है से भी किसानों को अवगत करवाया गया।

इस मौके पर लगभग 100 से अधिक किसानों एवं बागबान ने भाग लिया जिनको शीतोष्ण फलों के पौधे उनकी आवश्यकता एवं मांग के अनुसार जैसे कि से खुरमानी, आडू, अखरोट, कीवी, बादाम एवं अनार उपलब्ध करवाए गए तथा इनको लगाने एवं देखभाल करने का प्रशिक्षण दिया गया । पौध वितरण का कार्यक्रम इस माह के अंत तक चलता रहेगा । अन्त में धन्यवाद ज्ञापन इस केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ मधु पटियाल द्वारा दिया गया।

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