हिमाचल प्रदेश ने स्टेट डिजास्टर घोषित किया, क्या और कैसे होगा इसका फायदा? जानें सभी सवालों के जवाब,पढ़ें पूरी खबर….
शिमला: पहाड़ी खेती, समाचार (22, अगस्त)हिमाचल प्रदेश ने स्टेट डिजास्टर घोषित किया है। सीएम सुखविंदर सिंह की मंजूरी के बाद अफसरों ने इस आशय का औपचारिक आदेश जारी कर दिया है। इस साल हिमाचल प्रदेश ने भारी बारिश, लैंस स्लाइड, बादल फटने की अनेक घटनाओं का सामना किया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 हिमाचल प्रदेश के लिए अब तक काला साबित हुआ। 330 मौतें सरकारी दस्तावेजों में दर्ज हुईं।
मशहूर पर्यटन केंद्र मनाली से शुरू हुई तबाही रुकी नहीं, लगातार चलती रही। इस मानसून सीजन में अब तक दो महीने में लगभग 125 से ज्यादा स्थानों पर लैंड स्लाइड की वजह से भारी नुकसान हुआ। पर्यटकों से होने वाली आय बुरी तरह प्रभावित हुई। राज्य सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के नुकसान का आँकलन किया है। सीएम ने बीते 18 अगस्त 2023 को स्टेट डिजास्टर घोषित किया।
स्टेट डिजास्टर घोषित करने से क्या होगा फायदा?
आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के मुताबिक किसी क्षेत्र में प्राकृतिक या मानवजनित कारणों से, दुर्घटना की वजह से, जिसमें भारी जन-धन की हानि हो गई हो, पर्यावरण का भारी नुकसान हो और यह इतने बड़े पैमाने पर हो कि स्थानीय लोगों के लिए निपटना संभव न हो, ऐसी स्थिति को आपदा कहते हैं। भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, चक्रवात, सुनामी आदि को प्राकृतिक आपदा की श्रेणी में रखा गया है। न्यूक्लीयर, बायोलॉजिकल और केमिकल आपदाओं को मानव जनित आपदा की श्रेणी में रखा गया है।
स्टेट डिजास्टर घोषित करने के बाद राज्य सरकार अपने स्तर पर कई फैसले लेती है। हर तरह की सरकारी वसूली रोक दी जाती है। सरकार नुकसान की भरपाई करने को अतिरिक्त प्रयास करती है। नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट पॉलिसी के मुताबिक स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड से राहत मिल सकती है। अगर राष्ट्रीय आपदा घोषित हो जाए तो नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड से आर्थिक मदद मिल सकती है। एसडीआरएफ में केंद्र और राज्य सरकारें 75 एवं 25 फीसदी के अनुपात में रकम देती हैं। विशेष दर्जा प्राप्त राज्य के मामले में यह शेयर 90 और 10 का होता है।
हिमालयी राज्यों में नुकसान की वजहें
इस तरह स्टेट डिजास्टर घोषित करने से हिमाचल प्रदेश सरकार और राज्य के नागरिकों को फौरन राहत मिलेगी।नुकसान से भरपाई को सरकार अपने प्रयास तेज कर पाएगी।हिमालयी राज्यों में नुकसान की कुछ प्रमुख वजहें निम्न हैं-
- सड़कों का चौड़ीकरण करने को पहाड़ों को नुकसान पहुंचाया गया।
- जल विद्युत परियोजनाओं तथा अन्य विकास कार्यों के नाम पर अंधाधुंध पहाड़ों को काटा गया।
- जलविद्युत परियोजनाओं के लिए कई जगह नदियों की मुख्य धारा का रास्ता बदल दिया गया।
- जगह-जगह तोड़फोड़, विकास कार्यों की वजह से बारिश का पानी सीधे पहाड़ों में समा रहा
- पानी के बहाव के रास्ते पर बस्तियां बस गईं। निकास का रास्ता बंद हो गया।
- हिमाचल प्रदेश में इस समय 168 जल विद्युत परियोजनाएं संचालित हैं। इनसे लगभग 11 हजार मेगावाट बिजली बन रही।
- साल 2030 तक यह उत्पादन 23 हजार मेगावाट तक पहुंचने की संभावना है। परियोजनाएं की संख्या बढ़ेंगी।
- सभी हिमालयी राज्यों की कमोवेश यही स्थिति है। हर जगह विकास के नाम पर एक अलग तरह का विनाश सामने आ रहा है।
साभार: एजेंसियां, TV 9 भारतवर्ष,सोशल मीडिया नेटवर्क।