शीतोष्ण फलों तथा गेहूं व जौ का वैज्ञानिक उत्पाद तकनीक” विषय पर प्रशिक्षण शिविर आयोजित….

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शिमलाः ( पहाड़ी खेती, समाचार )

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, ( भा.कृ.अ.प. ) क्षेत्रीय केंद्र, शिमला के बागवानी शोध फार्म, ढांड़ा नजदीक टुटू, शिमला पर दिनांक 09.10.2020 को “शीतोष्ण फलों तथा गेहूं व जौ का वैज्ञानिक उत्पाद तकनीकी” विषय पर अनुसूचित जाति उपयोजना के अंतगर्त एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया ।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरूआत डॉ. कल्लोल कुमार प्रमाणिक, अध्यक्ष क्षेत्रीय केंद्र द्दारा मुख्य अतिथि श्री निशांत ठाकुर, सयुक्त सदस्य सचिव, हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद, बेम्लोई, शिमला, श्रीमती मीरा ठाकुर, (प्रधान, ग्राम पंचायत चायली), डॉ. धर्म पाल वालिया, (प्रधान वैज्ञानिक), डॉ. ऐ.के. शुक्ला, (प्रधान वैज्ञानिक), डॉ. मधु पटियाल,( वैज्ञानिक), डॉ. संतोष वाटपाडे‌, (वैज्ञानिक) व इस केंद्र मे कार्यरत सभी वर्गों के कर्मचारियों तथा अनुसूचित जाति के किसान व बागवान भाई बहिनों के साथ-साथ प्रैस व मिडिया के लोगों का इस कार्यक्रम मे शामिल होने के लिए अभार व्यक्त किया ।

डॉ. कल्लोल कुमार प्रमाणिक, (अध्यक्ष क्षेत्रीय केंद्र) ने इस केंद्र मे चल रहे शोध कार्य से सबको लाभांवित होने के लिए आग्रह किया । उन्होनें शीतोष्ण फलों तथा गेहूं व जौ का वैज्ञानिक तरीके से खेती करके आय बढाने के लिये प्रेरित किया ताकि किसानों / बागवानों की आय 2022 तक दो गुणी हो जाये । इसके लिए गुणवता वाले पौधे/ बीज/ मूलवृन्त लगाना चाहिए और बागीचों के प्रबंधन के उपर ध्यान देना चाहिए , ताकी पोषण युक्त तथा अधिक से अधिक पैदावार की जा सके। उन्होंने यह भी बताया कि इस परियोजना के पीछे सरकार का लक्ष्य यह है कि इस परियोजना के तहत अनुसूचित जाति के किसानों को फलों के पौधे, उनको बचाने हेतु शेडिंग नेट व रसायन, गार्डन टूल्ज आदि उपलब्ध करवाए गए ।

मुुख्य अतिथि श्री निशांत ठाकुर ने बताया कि इस तरह के सरकारी कार्यक्रमों को सही तरीके से लागू किया जाना है जो कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय केंद्र, शिमला ने कर दिखाया है । उन्होंने विज्ञान, प्रद्योगिकी एवं पर्यावरण के बारे में भी सुझाव दिये । उन्होनें इस शोध केंद्र से शीतोष्ण फलों तथा गेहूं व जौ की खेती करने का सूचना उपलब्ध करने की सलाह दी ।

डॉ. धर्म पाल, प्रधान वैज्ञानिक ने गेहूं की अधिक पैदावार और उसकी वैज्ञानिक तरीके से कैसे देख रेख की जानी चाहिए जिससे की अधिक पैदावार की जा सके इसके बारे मे जानकारी दी । डॉ. अरूण कुमार शुक्ला, प्रधान वैज्ञानिक ने वैज्ञानिक तरीके से शीतोषण फलों के पौधों को सही तरीके से उगाने के बारे में प्रकाश ड़ाला । उन्होनें कांट छाट, जेविक व रसायनिक खाद के बारे में भी जानकारी दी । डॉ. मधु पटियाल, वैज्ञानिक ने जौ उत्पादन को वैज्ञानिक तकनीक पर आधारित तरीके से करने के बारे में बताया तथा अधिक से अधिक लाभ उठाने के सूझाव दिये । डॉ. संतोष वाटपाडे‌, वैज्ञानिक ने पौधों को बिमारियों, कीट पतंगों तथा अन्य खतरों से कैसे बचाया जाता है एवं कौन-2 सी दवाईयां तथा उनके उपयोग के बारे में जानकारी दी ।

प्रशिक्षण शिविर में शामलाघाट से आए किसान चरणदास ने बताया कि संस्थान द्वारा दी जा रही जानकारी काफी उपयोगी है, लेकिन किसानों के समक्ष बड़ी समस्या जंगली जानवरों की है। इसके लिए कोई समाधान होना चाहिए ताकि फसलो को नुक्सान न हो। धुंधन अर्की से आए किसान नरपत राम त्यागी ने बताया कि उनके क्षेत्र में पानी की समस्या है जिससे उन्हें खेती करने के लिए मशक्त करनी पड़ती है। उन्होने ये भी बताया कि शिविर में कई महत्वपूर्ण जानकारी मिली है जिसे वेअपने खेतों में भी उपयोग करेंगे ।

इस प्रशिक्षण शिविर में 30 से अधिक पुरुष व महिला किसानों / बागवानों ने भाग लिया । किसानों को व्यवहारिक प्रशिक्षण इस केंद्र के तकनीकी स्टाफ द्दारा जैसे कि गड्डे बनना, खाद को मिलाना व कांट छाट के बारे मे दिया गया । यह कार्यक्रम डॉ. जितेंद्र कुमार, तकनीकी सहायक की अगुवाई में किया गया । इस प्रशिक्षण शिविर का समपन डॉ. मधु पटियाल, वैज्ञानिक के धन्यवाद ज्ञापन के माध्यम से समाप्त हुआ ।

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