शिमला : रिज को बचाने के लिए एक बार फिर शुरु हुई लीपापोती, पढ़े विस्तार से..

Spread the love

शिमला :  पहाड़ी खेती, समाचार, हिमाचल प्रदेश के शिमला की शान धंसते रिज को बचाने के लिए अभी वन विभाग की मंजूरी का इंतजार करना पड़ेगा। लेकिन धंसते रिज को बचाने के लिए एमसी शिमला ने एक बार फिर लीपापोती करना आरंभ कर दिया है।

शिमला : हिमाचल प्रदेश के शिमला की शान धंसते रिज को बचाने के लिए अभी वन विभाग की मंजूरी का इंतजार करना पड़ेगा। लेकिन धंसते रिज को बचाने के लिए एमसी शिमला ने एक बार फिर लीपापोती करना आरंभ कर दिया है।

गेयटी थियेटर के सामने एक बार फिर से नगर निगम शिमला ने रिज के ऊपरी हिस्से को पत्थरों से भरकर टारिंग का काम शुरु कर दिया है, ताकि रिज का यह हिस्सा समतल हो सके। एमसी ने इस कार्य पर औपचारिकता निभाते हुए एक बार फिर से इसे समतल करने का कार्य शुरु कर दिया है, लेकिन शहरी विकास विभाग मंत्री ने पूरे मामले की जांच कर वन विभाग को जल्द ही मंजूरी देने के लिए कहा है।

नगर निगम इस मामले में मंजूरी बिना फोरेस्ट क्लीयरेंस के चाहता है, लेकिन वन अधिकारियों का तर्क है कि वन भूमि के गैर वनीय इस्तेमाल के लिए मंजूरी अनिवार्य है। हालांकि, निगम की ओर से तर्क दिए जा रहे हैं कि भूमि की किस्म ऐसी है। इस पर फोरेस्ट क्लीयरेंस लेने की जरुरत नहीं हैं। अब इस मामले में फिर से वन विभाग के अधिकारी विचार करेंगे कि क्या मंजूरी के बगैर निर्माण की स्वीकृति दी जा सकती है या नहीं। दूसरी तरफ, रिज को बचाने के लिए निगम ने लीपापोती अभी तक जारी रखी है।

कुछ दिन पहले दरारों को भरने के लिए पत्थर भरे तो आज उस पर तारकोल बिछा दी गई। इससे पहले निगम की ओर से की गई लीपापोती एक महीनें भी काम नहीं आई। रिज पर गहरी दरारों के साथ साथ कई जगहों पर बड़े बडे गड़्ढे पड़ गए थे। इससे रिज मैदान को खतरा पैदा होने की आशंका बढ़ गई है। नगर निगम धंसते रिज मैदान को बचाने के लिए सालों से अब तक कोई स्थाई समाधान नहीं निकाल पाया है।

धंसते रिज मैदान के रिज स्टोरेशन वर्क के लिए यहां पर 14 पेड़ों को काटा जाना है। ट्री ऑथरिटी कमेटी ने बीते दिनों रिज के री- स्टोरेशन वर्क वाले हिस्से को निरीक्षण कर चिन्हित किया, यहां पर जिन पेड़ों को हटाया जाना है। मेयर सत्या कौंडल की अध्यक्षता में पूरी टीम ने इसका निरीक्षण कर लिया है। मेयर का कहना है कि जब तक फारेस्ट क्लीयरेंस नहीं मिलती तब तक ऐसे ही कार्य करना पड़ेगा इसके लिए स्मार्ट सिटी के तहत 37 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया गया है।

You may have missed