कर्नाटक, हिजाब विवाद: कोर्ट की दो टूक, हम संविधान के अनुसार चलेंगे, वही हमारे लिए भगवत गीता…..

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कर्नाटक में स्कूल-कालेज तीन दिन के लिए बंद, धारा 144 लागू, सीएम और हाईकोर्ट ने शांति की अपील की।

शिमला : पहाड़ी खेती, समाचार ( 09, फरवरी ) कॉलेज कैंपस में हिजाब और भगवा शॉल पहनने मामले पर कर्नाटक हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस मामल पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि हम तर्क और कानून के साथ जाएंगे नाकि भावनाओं और जुनून के साथ।जो संविधान कहता है हम उसे मानेंगे, हमारे लिए संविधान ही भगवत गीता है और हम उसी का पालन करेंगे।

बता दें कि कर्नाटक के उडुपी में एमजीएम कॉलेज के भीतर छात्रों के दो गुटों के बीच हिजाब को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। दरअसल क्लास में छात्राएं हिजाब पहनकर पहुंची थीं तो कुछ छात्र भगवा शॉल ओढ़कर पहुंच गए और जय श्रीराम के नारे लगाने लगे। विवाद के बाद कॉलेज को अगले निर्देश तक के लिए बंद कर दिया गया।

Karnataka Hijab Row:

हिजाब मामले को लेकर मचे हंगामे के बीच कर्नाटक सरकार ने सभी सरकारी और निजी शिक्षण संस्थानों में माहौल बिगाड़ने वाले कपड़े पहनने पर रोक लगा दी है। वहीं, भाजपा ने साफ कर दिया है कि राज्य में शिक्षा व्यवस्था का तालिबानीकरण नहीं करने दिया जाएगा। शिक्षण संस्थानों में सभी छात्रों को एक समान ड्रेस कोड के नियम का पालन करना होगा। प्रदेश कांग्रेस ने कहा है कि हर किसी को अपने धर्म के मुताबिक कपड़े पहनने का अधिकार है। कांग्रेस ने इसे मुस्लिम लड़कियों को शिक्षा से वंचित करने की भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की साजिश बताया है।

राज्य के शिक्षा विभाग ने शनिवार को एक निर्देश जारी कर तनाव पैदा करने वाले कपड़े पहनने पर रोक लगाते हुए साफ कहा है कि सभी सरकारी स्कूलों में राज्य सरकार द्वारा घोषित ड्रेस कोड का पालन किया जाए। निजी स्कूलों में भी छात्रों को स्कूल प्रबंधन द्वारा तय ड्रेस कोड का पालन करना होगा।

पिछले महीने उडुपी के सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कालेज (पीयू कालेज) में पांच लड़कियों को हिजाब पहनकर कक्षा में बैठने से रोक दिया था। उसके बाद ही यह विवाद शुरू हुआ था। इन लड़कियों ने कालेज में हिजाब पहनने पर पाबंदी के खिलाफ कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की है, जिस पर आठ फरवरी को सुनवाई होनी है।

हाई कोर्ट का फैसला आने से पहले राज्य में इस मुद्दे पर सियासत तेज हो गई है। राज्य के बेलगावी, हासन, मैसुरु, कुंदपुर और बायनदूर समेत कई शहरों और जिलों में हिजाब पहनने के समर्थन में प्रदर्शन होने लगे हैं। वहीं, कक्षा के अंदर हिजाब पहनने का विरोध करते हुए कुछ स्कूलों और कालेजों में हिंदू लड़के और लड़कियां भगवा स्कार्फ पहनकर आईं।

हिजाब विवाद में मलाला यूसुफजई की एंट्री, कह दी ऐसी बात, भड़की BJP

कर्नाटक में हिजाब विवाद बढ़ता जा रहा है। अब इस मामले में नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई भी कूद पड़ी हैं। मलाला ने मंगलवार को ट्विटर पर इस स्थिति को ‘भयावह’ बता दिया। एक समाचार रिपोर्ट का हवाला देते हुए प्रसिद्ध महिला अधिकार कार्यकर्ता मलाला ने भारतीय नेताओं से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि मुस्लिम महिलाओं को हाशिए पर नहीं रखा जाए।

उन्होंने लिखा, ‘लड़कियों को उनके हिजाब में स्कूल जाने से मना करना भयावह है। भारतीय नेताओं को मुस्लिम महिलाओं के हाशिए पर जाने को रोकना चाहिए।’ इस पोस्ट पर भाजपा विधायक और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने लिखा, भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने वाली यह कौन है? क्या उसे अपने बुर्के के पीछे नहीं छिपना चाहिए?

इससे पहले मंगलवार को राज्य में कई जिलों के कालेजों में उग्र प्रदर्शन व पथराव की घटनाओं के बाद पुलिस को लाठीचार्ज के साथ आंसू गैस के गोले दागने पड़े। माहौल खराब होते देख मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने अगले तीन दिन तक सभी स्कूल-कालेजों में छुट्टी घोषित कर दी। राज्य के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने कहा कि किसी को भी पुलिस को बल का प्रयोग करने को मजबूर नहीं करना चाहिए। कर्नाटक हाईकोर्ट ने छात्रों और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि कुछ लोग इस मामले को जिंदा रखना चाहते हैं। कोर्ट में अब मामले की सुनवाई बुधवार को होगी।

उधर, कर्नाटक के प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने बताया कि एक रिपोर्ट के अनुसार कैंपस फ्रंट आफ इंडिया (सीएफआइ) ने विवाद को हवा दी है। इस बीच, हिजाब विवाद पुडुचेरी भी पहुंच गया है। अरियंकुप्पम में एक मुस्लिम छात्रा के हिजाब पहनने पर शिक्षक के आपत्ति करने पर स्कूली शिक्षा निदेशालय ने विद्यालय के प्रमुख से जवाब तलब किया है। बता दें, कर्नाटक में जनवरी माह की शुुरुआत में उडुपी के एक सरकारी कालेज में छह छात्राओं के कक्षा में हिजाब पहनकर आने के बाद शुरू हुआ था।

कर्नाटक के उडुपी, शिवमोगा, बागलकोट और अन्य क्षेत्रों में स्थित शैक्षणिक संस्थानों में तनाव के चलते पुलिस और प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा। आइएएनएस के अनुसार, देवनगेरे जिला में हरिहर फर्स्ट ग्रेड कालेज में उग्र भीड़ को तितर बितर करने के लिए पुलिस ने आंसूु गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया। कई पुलिसकर्मी व छात्र घायल हुए हैं। दोपहिया वाहनों को क्षति पहुंची। देवनगेरे और हरिहर में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है। हिजाब पहनने के समर्थन में कुछ लोगों के कालेज पहुंचने के बाद विवाद बढ़ा। स्थानीय कांग्रेस विधायक रामप्पा से छात्रों की बहस भी हुई। सोमवार को भी एक विवादित इंटरनेट मीडिया पोस्ट के बाद विवाद बढ़ा था।

वहीं, उडुपी के महात्मा गांधी स्मारक कालेज में हिजाब पहने छात्राओं ने विरोध प्रदर्शन किया जबकि केसरिया पट्टा (स्टोल) डाले विद्यार्थियों के समूह ने नारेबाजी की। शिवमोगा में भी निषेधाज्ञा लागू कर दी गई। राबकावी बनहट्टी के एक कालेज में पथराव के बाद धारा 144 लागू कर दी गई। विजयपुरा, गडाग, दक्षिण कन्नड़, देवनगेरे, चित्रदुर्ग और अन्य जिलों में भी प्रदर्शन हुए। मांड्या में एक छात्रा और युवकों के बीच नारेबाजी वीडियो वायरल हुआ है। इसमें जहां छात्रा अल्लाह-हू-अकबर के नारे लगाती दिखाई दे रही है। वहीं छात्र जय श्री राम के नारे लगाते दिख रहे हैं।

अदालती आदेश का पालन होगा

सीएम बोम्मई ने राष्ट्रीय राजधानी में पत्रकारों से कहा कि मैं कर्नाटक के लोगों के साथ ही सभी स्कूल-कालेज के छात्रों, शिक्षकों और प्रबंधकों से शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील करता हूं। न्यायालय के आदेश का पालन किया जाएगा।

हाई कोर्ट में आज भी सुनवाई

कर्नाटक हाईकोर्ट में उडुपी के एक कालेज की छात्राओं की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित ने कहा कि अदालत जनता और छात्रों से शांति बनाए रखने की अपील करती है। राज्य के महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवाडगी ने विरोध प्रदर्शन पर रोक का अंतरिम आदेश पारित करने का आग्रह कोर्ट से किया जिसका समर्थन याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता देवदत्त कामत ने भी किया। हालांकि कामत ने हिजाब पहने छात्राओं को स्कूल में अलग बैठाए जाने को धार्मिक भेदभाव बताया। इस पर नवाडगी ने कहा कि ऐसे बयानों के दूरगामी परिणाम होंगे।

धार्मिक ताकतों का हाथ होने की ओर किया इशारा

इन घटनाओं के पीछे धार्मिक ताकतों का हाथ होने की ओर इशारा करते हुए कर्नाटक के गृह मंत्री ज्ञानेंद्र ने एक वीडियो संदेश में कहा, “इस देश के बच्चे होने के नाते, हम सभी को भाइयों की तरह साथ खड़ा होना चाहिए। शैक्षणिक संस्थान धार्मिक आस्था का पालन करने या हमारी वेशभूषा दिखाने का स्थान नहीं हैं।” गृह मंत्री ने आगे कहा, “आप (छात्र) सभी शिक्षित हैं, आपको अपने भविष्य के बारे में सोचना होगा। कोरोना के चलते दो साल बाद ठीक तरह से कक्षाएं संचालित हो पा रही हैं।

लोकसभा में कांग्रेस नेता ने उठाया मामला

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि हिजाब पहनने वालों पर अत्याचार किया जा रहा है। उन्होंने इस विवाद पर सरकार से बयान जारी करने की मांग भी की। शून्यकाल में उन्होंने आरोप लगाया कि धार्मिक भेदभाव की कई घटनाएं देश में हो चुकी हैं। जवाब में भाजपा सांसद शिवकुमार ने कहा कि मामला अदालत में है और संसद में इस पर चर्चा नहीं होनी चाहिए। इस मामले में राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है।

एआइएमआइएम नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने छात्राओं का समर्थन करते हुए कहा कि संवैधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए उन्होंने साहस दिखाया है। वहीं पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की मुखिया महबूबा मुफ्ती ने उप्र चुनाव से पहले ध्रुवीकरण करने का आरोप लगाया। नेशनल कांफ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला आरोप लगाया कि देश में मुसलमानों के लिए नफरत सामान्य हो गई है। इंटरनेट मीडिया पर कुछ युवकों और हिजाब पहने युवती का वीडियो वायरल होने पर भी उमर ने टिप्पणी की।

साभार: oneindia.com, नई दुनिया, सोशल मीडिया नेटवर्क।

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