हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान, शिमला: “वन परिस्थितिकी तंत्र में परागणकों का महत्त्व” पर एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम आयोजित….

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शिमला : पहाड़ी खेती, समाचार ( 12, मई ) आजादी का अमृत महोत्सव की श्रृंखला में हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान, शिमला द्वारा “वन परिस्थितिकी तंत्र में परागणकों का महत्त्व” पर दिनांक 11 मई को एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।

कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय तथा रझाना ग्राम पंचायत के 50 प्रतिभागियों ने भाग लिया । निदेशक डॉ. एस॰एस॰सामंत, ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की तथा उन्होने वानिकी के क्षेत्र में परागणकों के महत्त्व, उनके अभाव में फसलों पर होने वाले दुष्प्रभावों तथा आजीविका वृद्धि मे उनके योगदान के बारे में विस्तार से बताया।


डॉ॰ जगदीश सिंह, प्रभाग प्रमुख –विस्तार, ने अमृत महोत्सव कि पृष्ठभूमि के बारे में बताया । डॉ॰ संदीप शर्मा, समूह समन्वयक (अनुसंधान) ने मधुमक्खी पालन, शहद की महत्ता तथा इससे आजीविका सृजन के बारे मे अवगत करवाया। डॉ॰ महेंद्र ठाकुर, सहप्राचार्य, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला ने वानिकी के क्षेत्र में परागणकों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बताया की 87% परागण कीटों के द्वारा किया जाता है। फलों, सब्जियों, दालों तथा जैव विविधता को बढ़ाने में परागणकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होनें जलवायु परिवर्तन के मधुमक्खियों पर दुष्प्रभावों पर भी जानकारी सांझा की।

वन संरक्षण प्रभाग के प्रभाग प्रमुख डॉ॰ पवन कुमार, वैज्ञानिक-ई ने अपने व्याख्यान में नर्सरी तथा जंगलों के मुख्य परागणकों एवं कीटों के बारे में अवगत करवाया। अपनी प्रस्तुति के माध्यम से उन्होनें वन परिस्थितिकी तंत्र में परागणकों एवं कीटों के महत्व तथा परागणकों पर कीटनाशकों के दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी दी। डॉ॰ अश्वनी तपवाल, वैज्ञानिक-एफ़ ने अपनी प्रस्तुति के माध्यम से माईकोराइज़ा: पौधों के विकास के लिए संभावित जैव-रसायन पर भी जानकारी सांझा की तथा इस प्रशिक्षण कार्यक्रम मे भाग लेने के लिये प्रतिभागियों का धन्यवाद व्यक्त किया।

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