COP26 में भारत को अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के स्तर पर बड़ी जीत , जलवायु परिवर्तन पर दुनिया को मनवाई बात….

Spread the love

ग्लासगो :  पहाड़ी खेती, समाचार, जलवायु परिवर्तन (Climate Change) को रोकने के मकसद से ग्लासगो में चल रहे संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन COP26 में भारत को अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के स्तर पर बड़ी जीत मिली है।

भारत यहां सम्मेलन में कई दिनों की बातचीत के बाद दुनिया के अन्य सदस्य देशों को कोयले को ‘फेज आउट’ के बजाय ‘फेज डाउन’ में शामिल करने के लिए मनाने में कामयाब रहा। इस बात पर सहमति के बाद भारत ने आखिरकार COP26 के मसौदे का समर्थन कर दिया, जिसे लगभग 200 देशों ने पारित किया था।

ग्लोबल वार्मिंग लक्ष्य को जीवित रखने के उद्देश्य से ग्लासगो में हुए इस जलवायु समझौते के तहत 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान के लक्ष्य को हासिल करने का उद्देश्य रखा गया है। इसमें भारत और चीन ने आखिरी समय में कोयले और जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने (फेज आउट) की शब्दावली में परिवर्तन कराकर चरणबद्ध तरीके से कम करने (फेज डाउन) की बात शामिल करने में सफलता हासिल कर ली।

COP26 के अध्यक्ष आलोक शर्मा ने ग्लासगो क्लाइमेट पैक्ट की घोषणा करते हुए कहा, ‘यह तय हो गया है।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि हम इस वार्ता से एकजुट होकर निकल सकते हैं। और एकसाथ होकर लोगों और धरती को कुछ अहम प्रदान कर सकते हैं।’ दरअसल कार्यक्रम के दौरान भारत की तरफ से सुझाए गए बदलावों की कई देशों ने आलोचना की। इस पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ग्लासगो सम्मेलन में कहा कि कोई भी किसी विकासशील देश से यह उम्मीद कैसे कर सकता है कि वे कोयला और जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को खत्म करने को लेकर वादा करे, जबकि उसके पास पहले ही विकास के एजेंडा को पूरा करने और गरीबी को मिटाने की चुनौती है। इससे पहले भारत ने समझौते के मसौदे पर भी निराशा जताई थी।

इससे पहले भारत ने विकासशील देशों के साथ अन्याय की बात उठाई थी। साथ ही ‘संतुलन की कमी’ और जलवायु को लेकर वित्तीय लक्ष्य पूरा करने की जरूरत पर जोर दिया। यादव ने कहा, ‘अध्यक्ष जी, सहमति बनाने के लिए आपकी तरफ से लगातार किए गए प्रयासों के लिए धन्यवाद। हालांकि, मुझे डर है कि सहमति टाल मटोल वाली बनी रही। भारत इस फोरम पर अच्छी बहस और न्यायसंगत समाधान के लिए तैयार है।’

बता दें कि जलवायु परिवर्तन की रोकथाम के लिए अंतिम मसौदे में कोयले और जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के संदर्भ में तीखे मतभेद सामने आए थे। भारत, चीन और ईरान, वेनेज़ुएला और क्यूबा सहित कई अन्य विकासशील देशों ने इस प्रावधान पर आपत्ति जताई थी, जिसमें देशों से निरंतर कोयला बिजली और अक्षम जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के प्रयासों में तेजी लाने का आह्वान किया गया था।

साभार: News 18, सोशल मीडिया नेटवर्क।

You may have missed