बीपीएल परिवार से संबंधित सूअर पालकों को प्रदान की जा रही 95 % सब्सिडी …..

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शिमला : पहाड़ी खेती, समाचार ( 27, मार्च ) प्रदेश में राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम) के अन्तर्गत लोगों को आजीविका के स्थाई अवसर प्रदान करने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं। एनएलएम के अन्तर्गत ग्रामीण पोल्ट्री, भेड़, बकरी, सूअर पालन व नस्ल सुधार के साथ-साथ इनके लिए उत्तम चारे की व्यवस्था पर विशेष बल दिया जा रहा है।

प्रदेश के युवाओं के लिए आजीविका के वैकल्पिक अवसर उपलब्ध करवाने के दृष्टिगत राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण बैकयार्ड विकास योजना का सफल क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस केंद्र प्रायोजित योजना के अन्तर्गत बीपीएल परिवार से संबंधित सूअर पालकों को 95 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जा रही है, जिसमें 90 प्रतिशत हिस्सेदारी केंद्र तथा पांच प्रतिशत प्रदेश सरकार द्वारा वहन की जा रही है। सूअर पालकों को 95 प्रतिशत सब्सिडी पर तीन मादा और एक नर सूअर प्रदान किए जाते हैं। योजना के अन्तर्गत लाभार्थी को कुल लागत की केवल पांच प्रतिशत की राशि ही वहन करनी पड़ती है। तीन से चार माह आयु वर्ग की स्वस्थ युवा मादा सूअर तथा चार से पांच माह आयु वर्ग के नर सूअर का बीमा भी करवाया जाता है।


राज्य के सभी वर्गों के भूमिहीन, छोटे और सीमान्त किसान इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। इस योजना के अन्तर्गत बीपीएल परिवारों से संबंधित किसानों, अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति से संबंधित बेरोजगार युवाओं, महिलाओं और सामान्य वर्ग के लोगों को प्राथमिकता प्रदान की जाती है और योजना के लाभार्थियों में कम से कम 30 प्रतिशत महिलाएं होनी चाहिए। इस योजना के अन्तर्गत उन परिवारों को प्राथमिकता प्रदान की जाती है जिनके परिवार के सदस्य सरकारी सेवा में कार्यरत नही हैं और जिन किसानों के पास स्वयं के सूअर शैड अथवा मनरेगा के अन्तर्गत निर्मित सूअर शैड की सुविधा उपलब्ध है। इस योजना के अन्तर्गत पड़ोसी राज्यों से सूअर इकाइयों की व्यवस्था की जाती है। पात्र किसान पशु चिकित्सा अधिकारियों के माध्यम से अपनी मांग रख सकते हैं और लाभार्थी का चयन पहले आओ पहले पाओ के आधार पर किया जाता है।


वर्ष 2019 में करवाई गई 20वीं पशुधन गणना के अनुसार प्रदेश में 2124 सूअर हैं। वर्ष 2019-20 में प्रदेश सरकार द्वारा 3.39 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की गई और पात्र लाभार्थियों को 20 सूअर इकाइयों वितरित की गई। वर्ष 2021-22 में 397.95 लाख रुपये व्यय कर 1995 सूअर इकाईयां स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है जिनका कार्य प्रगति पर है।

राज्य सरकार द्वारा पशुपालन का कार्य कर रहे लोगों से वैकल्पिक आजीविका के रूप में सूअर पालन को अपनाने का आग्रह किया गया है।

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