पशुशाला में रखें ध्यान,पशुओं को नहीं होगी बीमारियां
पशुओं में ज्यादातर जीवाणु और विषाणु जनित रोग होते है इसलिए पशुओं को स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए पशुओं के बाड़े की साफ-सफाई बहुत जरूरी है। ज्यादातर पशुशाला में पशुपालक साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखते, जिससे पशुओं को गंभीर बीमारी होती है और पशुपालक को उसका महंगा इलाज कराकर काफी खर्च उठाना पड़ता है। अगर पशुशाला में पशुओं की सही से देख-रेख की जाए तो काफी हद तक पशुओं को संक्रमण फैलने से बचाया जा सकता है।
पशुशाला में स्वच्छता : पशुशाला को स्वच्छ रखने के लिए दिन में कम से कम दो बार गोबर और गोमूत्र की सफाई करें। जब पशुओं को चरागाह में अथवा बाड़े में भेजा जाता है वह सफाई का उचित समय होता है।
पशुशाला की सफाई के लिए ध्यान देने वाली बातें :
- पशुशाला की सफाई के लिए आवश्यक उपकरण (बेलचा, हाथगाड़ी, झाडू, पानी का पाइप, ब्रश ) और रसायन (धोने का सेाडा, क्लोरीन, फिनाइल, चूना) की आवश्यकता पड़ती है।
- गोबर को बेलचे से उठाकर हाथगाड़ी में डालकर उचित स्थान पर इक्ट्ठा करना चाहिए और नांद को झाडू से साफ करना चाहिए ।
- पहले फर्श पर पानी का छिड़काव करें जिससे फर्श गीला हो जाए और सूखी गंदगी व गोबर की सफाई सही से हो सके।
- फर्श को अच्छी तरह रगड़ कर धोने के बाद साबुन लगाकर और उसके बाद झाडू और पानी से साफ करना चाहिए।
- दीवारों पर लगे गोबर के धब्बों की अच्छी तरह से सफाई करनी चाहिए।
- पूरे फर्श पर 2 प्रतिशत फिनाइल का छिड़काव करना चाहिए।
- गोशाला में लगे मकड़ी के जालों को समय-समय पर साफ करना चाहिए।
- दीवारों को ब्रश से साफ करना चाहिए।
- सफाई के बाद गंदा पानी निकास नाली से बाहर निकालना चाहिए।
- 100 से 200 पी.पी.एम. क्लोरीन के घोल को दुग्ध कक्ष के पूरे फर्श पर छिड़काव करना चाहिए।
- एक वर्ष में कम से कम दो बार दीवार की सफेदी करनी चाहिए।
- मक्खी, मच्छरों और अन्य कीटों की रोकथाम के लिए बाजार में उपलब्ध कीटनाशकों का उपयोग पशुचिकित्सक से सलाह लेकर करना चाहिए।
- दूध कक्ष के दरवाजे और खिड़कियों पर तारों की जाली लगानी चाहिए जिससे मक्खियों और मच्छरों का प्रवेश न हो ।