गुणों से भरपूर ‘बिच्छू-बूटी’ (Nettle Leaf), जानें विस्तार से….

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” बिच्छू बूटी ” में विटामिन ए , सी , आयरन, पोटैशियम, मैगनीज़ तथा कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसीलिए इसको प्राकृतिक मल्टी विटामिन का नाम भी दिया गया है।

शिमलाः ( पहाड़ी खेती , एन पी सिंह ) बिच्छू बूटी एक जंगली पौधा है जो कि भारत के मध्य हिमालय पर्वत श्रंखला में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। जिसको छूने से त्वचा में तीव्र झनझनाहट या हल्की ज़लन हो जाती है। बिच्छू बूटी को नेटल लीफ ( Nettle Leaf ) भी कहा जाता है। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में स्थानीय लोग बिच्छू बूटी को बिच्छू घास, कुंगश, कंडाली, सिसूंन, सियून भाभर आदि नामों से पुकारते हैं।

बिच्छू बूटी को अंग्रेजी भाषा में नेटल ( Nettle ) कहा जाता है। इसका बॉटनिकल नाम अर्टिका डाईओका ( Urticaria dioica ) है। बिच्छू बूटी की पत्तियों पर छोटे-छोटे बालों जैसे काँटे होते हैं।पत्तियों के हाथ या शरीर के किसी अन्य भाग में लगते ही तीव्र झनझनाहट शुरू हो जाती है।इसका असर बिच्छू के डंक के समान होता है।इसीलिए अंग्रेजी में इसे स्टिंगिंग नेटल ( Stinging Nettle ) भी कहते हैं। इसके काँटो में मौजूद हिस्टामिन की वज़ह से तीव्र ज़लन होती है।

औषधीय गुणों के कारण बिच्छू बूटी का विशेष महत्व है। बिच्छू बूटी का प्रयोग पित्त दोष, शरीर के किसी भाग में मोच, जकड़न और मलेरिया के साथ – साथ इसके बीजों को पेट साफ़ करने वाली दवा के रूप में भी किया जाता है। इसमें काफी मात्रा में आयरन होता है। भविष्य में इसका प्रयोग बुखार की दवा के रूप में भी हो सकता है जिसके परीक्षण जारी हैं। बिच्छू बूटी में विटामिन ए, सी, आयरन, पोटैशियम, मैगनीज़ तथा कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसी लिए इसको प्राकृतिक मल्टी विटामिन का नाम भी दिया गया है।

बिच्छू बूटी के पत्तों से निकाले गए रस में एंटी-कैंसर गुण होते हैं। इसके अलावा इस पौधे के अन्य हिस्सों में ट्यूमर का इलाज करने वाले औषधीय गुण भी पर्याप्त मात्रा में होते हैं। बिच्छू बूटी की चाय में फेनोलिक और फ्लैवोनॉएड यौगिकों के साथ साथ एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में मददगार होते हैं।इसी प्रकार बढ़े हुए प्रोस्टेट और प्रोस्टेट कैंसर को रोकने में बिच्छू बूटी को कारगर माना गया है।हालांकि यह सिर्फ इसके विकास को ही रोकती है। अपने औषधीय गुणों के कारण बिच्छू बूटी हड्डी रोग को ठीक करने, त्वचा समस्याओं से बचाने, मूत्र सम्बंधित दोषों को कम करने आदि में भी प्रयोग में लाई जाती है।

दिल को स्वस्थ रखने के लिए बिच्छू बूटी के लाभकारी गुण काम आते हैं। इससे बनी चाय को नियमित रूप से पीने पर लोअर सिस्टोलिक रक्तचाप को काफी हद तक कम किया जा सकता है। यह कार्डियोवस्कुलर सिस्टम पर तनाव को कम करने में भी मददगार होता है। जिन लोगों को उच्च रक्तचाप की समस्या होती है उनके लिए यह बहुत लाभदायक होती है। बिच्छू बूटी नाइट्रिक ऑक्साइड के रिलीज के माध्यम से रक्तचाप को कम कर सकती है।

मधुमेह रोगियों का उपचार करने के लिए बिच्छू बूटी का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका उपयोग कर मधुमेह प्रकार 2 में ग्लाइसेमिक को नियंत्रण करने में मदद मिलती है। शरीर में ग्लाइसेमिक इंडेक्स, उपवास के दौरान और भोजन के बाद बिच्छू बूटी की चाय का सेवन करने से नियंत्रित किया जा सकता है।यदि आप मधुमेह टाईप 2 रोगी हैं तो नेटल लीफ का सेवन आप के लिए लाभदायक हो सकता है।

कई अध्यनों से पता चला है कि बिच्छू बूटी के प्रभाव गुर्दे के लिए अच्छे होते हैं जो कि एक शक्तिशाली मूत्र वर्धक है। इसका मतलब यह है कि यह हमारे शरीर में पेशाब को लगातार उत्तेजित करता है जिससे अधिक मात्रा में पेशाब का उत्सर्जन होता है और शरीर के विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। अतः बिच्छू बूटी को पेशाब और गुर्दे सम्बंधित समस्याओं के इलाज के लिए उपयोग किया जा सकता है।

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